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भले ही भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर व्यावहारिक तौर पर खत्म हो रही है
भले ही भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर व्यावहारिक तौर पर खत्म हो रही है और देश समग्र रूप में सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है, लेकिन फिर भी हम नहीं कह सकते हैं कि इस महामारी का अंत हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमीक्रॉन वेरिएंट के एक नये स्वरूप एक्स.ई़ को लेकर चिंता जतायी है जो पिछले स्ट्रेन की तुलना में ज्यादा संक्रामक है। जो सबसे पहले ब्रिटेन में देखा गया और अब पूरी दुनिया में तेजी से पैर पसार रहा है। चीन से आ रही खबरें चिंताजनक हैं। खास तौर पर चीन के शीर्ष व्यावसायिक केंद्र शंघाई में लोग जिस तरह के हालातों से जूझ रहे हैं, वे महामारी से अधिक उससे निपटने के अंदाज पर सवाल खड़े करते हैं। शंघाई में पिछले महीने संक्रमण में तेज होने के बाद कोरोना प्रोटोकॉल से जुड़े सारे प्रावधान पूरी कड़ाई से लागू कर दिए गए। पिछले करीब 22 दिनों के सख्त लॉकडाउन के बावजूद नए केसों की संख्या काबू में आती नहीं दिख रही। भारत और दुनिया के कई देश इन गंभीर परिस्थितियों से निपट चुके हैं।
लेकिन चीन 'जीरो कोविड नीति' से पीछे हटने को तैयार नहीं। इस नीति के तहत लॉकडाउन और क्वारंटीन के सख्त प्रावधानों की वजह से शंघाई में लोगों के घर के अंदर भूखे मरने की नौबत आ गई है, क्योंकि उन्हें खाद्य सामग्री घर पर आसानी से नहीं मिल रही। चीन के सख्त लॉकडाउन से विश्व भर का बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है, इससे खासतौर पर विकसित देशों में महंगाई बढ़ रही है। अच्छा हो, अगर चीन भी बाकी दुनिया की तरह कोविड के साथ जीना सीख ले। विश्व के स्वास्थ्य संगठन चेता रहे हैं कि नये वेरिएंट की वजह से स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐसे में जांच व निगरानी में किसी भी तरह की शिथिलता भविष्य में संकट की स्थिति पैदा कर सकती है। हम यह न भूलें कि भारत दुनिया में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दस अप्रैल से दस से अट्ठारह वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी लोगों को कोरोनारोधी डोज लगाने का फैसला किया है। यह बूस्टर डोज निजी टीकाकरण केंद्रों पर लगाई जायेगी। यह डोज उन लोगों को लगाई जा सकेगी, जिन्हें दूसरी डोज लगे नौ महीने हो चुके हैं। दरअसल, भविष्य में किसी भी चुनौती से मुकाबले के लिये सरकार ने अब लड़ाई मजबूत करने का मन बनाया है। सरकार का दावा है कि वह सभी आयु वर्गों की संवेदनशीलता को देखते हुए टीकाकरण अभियान चला रही है। अतीत के अनुभव बताते हैं कि हमारी चूक से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है तो कोविड रोधी व्यवहार व बूस्टर डोज कारगर साबित हो सकते हैं। भयभीत होने के बजाय सावधानी आवश्यक है।
By सच कहूँ न्यूज
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