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- Editorial: परीक्षाओं...
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Vijay Garg: आजकल प्रतिष्ठित संस्थानों के कोर्सेज और तमाम तरह की जाब्स में सही उम्मीदवारों के चयन के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का चलन काफी बढ़ गया है। इसके पीछे प्रमुख तौर पर दो कारण गिनवाए जा सकते हैं। पहला तो यह कि इच्छुक प्रत्याशियों की तुलना में सीटों की संख्या अत्यंत सीमित होती है। दूसरा कारण यह कि सही एप्टीट्यूड वाले प्रत्याशियों के चयन पर अब अधिक जोर दिया जाने लगा है। इससे युवाओं को इस तरह की चयन प्रक्रिया में न सिर्फ आपसी स्पर्धा का सामना करना पड़ता है, बल्कि इसके साथ ही चयनकर्ताओं की कसौटी पर भी खरा उतरने की गहन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ऐसे में सफल होने के लिए प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा के स्वरूप एवं चयनकर्ताओं की अपेक्षाओं को समझना बहुत जरूरी हो जाता है, ताकि उसी के अनुसार तैयारी की जा सके। अक्सर यह देखा गया है कि तमाम परीक्षाओं में प्रत्याशी अच्छी तैयारी करने के बाद भी महज कुछ अंकों से कटआफ या मेरिट में सही जगह बनाने से चूक जाते हैं। ये कुछ अंक थोड़ी सी सावधानी बरतकर बहुत आसानी से हासिल किया जा सकता है, जैसे कि परीक्षा दिशानिर्देशों को समझनाः युवा अक्सर यह सोचने की गलती कर बैठते हैं कि प्रतियोगी परीक्षाएं एक जैसी होती हैं और इसीलिए एक ही तरह से तैयारी करने में लग जाते हैं। यह एक बहुत बड़ा कारण है अथक मेहनत के बावजूद युवाओं का सफलता की सीढ़ियों से फिसलने का। इसके लिए सबसे पहले उक्त चयन परीक्षा से संबंधित गाइडलाइन या दिशा-निर्देशों को पूरा ध्यान लगाकर पढ़ना और समझना चाहिए। इसमें कुछ भी उलझन हो तो सही स्रोत से स्पष्टीकरण लेना न भूलें।
परीक्षा का स्वरूपः तैयारी शुरू करने से पूर्व यह पता होना आवश्यक है। कि परीक्षा आब्जेक्टिव टाइप है या सब्जेक्टिव । अंकों के मान के अनुसार सब्जेक्टिव प्रश्नों के उत्तर के शब्दों की संख्या का निर्धारण कर लेना चाहिए। अक्सर देखने में आया है कि जितना आता है, सब लिखने के चक्कर में युवा परीक्षा का बहुमूल्य समय गंवा देते हैं।
निगेटिव मार्क्सः जिस परीक्षा की आप तैयारी करने जा रहे हैं, उसमें निगेटिव अंकों का प्रविधान है या नहीं, इस बात को भी शुरू में ही पता कर लेना चाहिए। फिर उसी अनुसार तैयारी की बारीकियों पर ध्यान देना चाहिए। यदि किसी परीक्षा में निगेटिव अंकों का प्रविधान है, तो सिर्फ और सिर्फ सही उत्तर पर ही पूर्ण आश्वस्त होने पर निशान लगाएं। तुक्केबाजी से बिल्कुल बचें, अन्यथा परीक्षा में अंक गंवाने के साथ ही आपकी यह आदत आपको मेरिट से भी बाहर कर सकती है।
कई सहायक पुस्तकों से बचें एक सामान्य गलती जो अक्सर देखने को मिलती है, वह यह है कि युवा एक ही प्रश्नपत्र की तैयारी कई तरह की पुस्तकों से करने की रणनीति अपनाते हैं, जो कतई सही नहीं है। इससे समय ज्यादा बर्बाद होता है और ठीक से रिवीजन भी नहीं हो पाता है। इसलिए बेहतर होगा कि किसी एक अच्छी मानक पुस्तक / सहायक पुस्तक पर ही फोकस करें, उसे ही बार-बार दोहराएं।
कई परीक्षाओं की तैयारी एक साथ न करें
भरसक प्रयास करें कि एकसमय में एक चयन परीक्षा पर ही पूरा ध्यान लगाएं। यदि बहुत जरूरी लगे, तो ज्यादा से ज्यादा एक जैसी दो परीक्षाओं की तैयारी साथ में कर सकते हैं।
व्यावहारिक समय सारणी: परीक्षा के सिलेबस और विभिन्न विषयों को प्रतिदिन समुचित समय कैसे दिया जाए, इसके लिए एक व्यावहारिक समय सारणी जरूर निर्धारित करें। इससे प्रत्येक दिन के लिए पढ़ाई का टारगेट पूरा करने में आसानी होगी। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि यह समय सारणी आपकी क्षमताओं के अनुरूप होनी चाहिए, ताकि रोजाना का लक्ष्य आसानी से पूरा हो जाए।
साप्ताहिक रिवीजन: सप्ताह में जितनी भी पढ़ाई करें, उसके रिवीजन के लिए एक पूरा दिन अवश्य दें। इससे भूलने का खतरा कम होगा। इसलिए सभी होनहार अभ्यर्थी पढ़ाई के साथ- साथ रिवीजन पर भी पूरा ध्यान देते हैं।
क्या पढ़ें और क्या छोड़ें प्रायः ऐसी परीक्षाओं का सिलेबस अत्यंत विस्तृत होता है। सभी कुछ पढ़ पाना नामुमकिन होता है। ऐसे में किन टापिक्स पर समय लगाया जाए और किन्हें छोड़ा जाए, इसका निर्धारण आप पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों से कर सकते हैं।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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Gulabi Jagat
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