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किरण चोपड़ा: ड्रग्स, नशा ऐसी बीमारियां हैं जो हमारे देश के भविष्य से खेल रही हैं। हम सब जानते हैं बालीवुड, पंजाब और बहुत से राज्य और बहुत से स्कूल, कालेज के छात्र हैं, जो अछूते नहीं रह रहे। आए दिन नई-नई खबरें मिलती हैं। एक मां होने के नाते, एक समाजसेविका होने के नाते दिल दहल जाता है अगर किसी के भी बच्चे के बारे में सुनते हैं। इस पर बहुत सी फिल्में बन चुकी हैं, बहुत सी संस्थाएं काम कर रही हैं, परन्तु फिर भी यह कंट्रोल में ही नहीं आ रही है। खासकर बालीवुड के हीरो-हिरोइनें जो कई लोगों के आईकोन होते हैं, जिन्हें देखकर लोग फैशन या जिन्दगी की राहें चुनते हैं। मुझे आज भी याद है जब संजय दत्त मशहूर फिल्म एक्टर और नेता सुनील दत्त और नर्गिस का बेटा इस लत में पड़ गया था तो सुनील दत्त जी अश्विनी जी से मिले थे, उन्होंने चिंता व्यक्त की और तब अश्विनी जी ने उनको एक संस्था से जोड़ कर बहुत मदद की। सुनील दत्त जी बहुत ही करीबी थे अश्विनी जी के। मेरे कहने का मतलब है कि कोई भी माता-पिता नहीं चाहते कि उनका बच्चा किसी गलत आदत में पड़े। आज बालीवुड का ऐसा कल्चर हो गया है कि वो समझते हैं कि वो कुछ भी करें उन्हें कोई टच नहीं कर सकता।संपादकीय :'दुर्गा पूजा' और 'शेख हसीना'क्या से क्या हुआ, गांधी तेरा देश !आर्यन की जमानत और न्यायरूस, भारत और तालिबानचीन की अरुणाचल पर नजरेंदशहरे का व्यावहारिक अर्थ!परन्तु पिछले कुछ समय से एनसीबी ने सख्ती से विशेष कर युवा एक्टर सुशांत सिंह की मौत के बाद बहुत एक्शन लिए हैं और उसी क्रमवार लड़ी में देश के मशहूर एक्टर शाहरुख खान का बेटा भी आ गया है। उसका कितना कसूर है या नहीं यह कोर्ट का मामला है और हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, परन्तु फिर भी एक मां होने के नाते बहुत दुःख हुआ। जितना मैं शाहरुख खान, गौरी खान को जानती हूं वो बहुत ही मेहनत से इस मुकाम पर पहुंचे हैं। मैं गौरी खान की मां को भी जानती हूं, बहुत ही सभ्य महिला हैं। शाहरुख हमारे घर आए तो बच्चों और अश्विनी जी से घुल-मिल गए और यहां तक की घर के हैल्पर तक को खुश कर फोटो खिंचवाई, बिरयानी खाई। यानी बहुत ही जमीन से जुड़ा व्यक्ति है, परन्तु उस पर क्या बीत रही है यह हर पिता समझ सकता है।अब 20 अक्तूबर को कोर्ट आर्यन की बेल पर क्या फैसला सुनाती है यह अदालत पर है। माना हमारे देश में 18 साल के होने पर ड्राइविंग लाइसैंस, वीजा सब अधिकार बालिग होने पर मिल जाते हैं इसलिए हम उस नजर में इसे बच्चा नहीं मान सकते, परन्तु मेरे अनुभव से लड़के देर से मैच्योर होते हैं। एक तरफ नीरज चोपड़ा 23 साल में भारत का नाम रोशन करता है। दूसरी तरफ 23 साल का आर्यन अपने माता-पिता का नाम खराब करता है तो सोचने वाली बात है कि एक ही उम्र में बच्चों में इतना फर्क क्यों? तो सामने यही आता है गरीबी, आर्थिक तंगी या माता-पिता के उचित संस्कार, परिवार में प्यार, बच्चों को नीरज चोपड़ा जैसा बनाते हैं और दूसरी तरफ माता-पिता की उचित देखभाल न होने या ज्यादा तवज्जो न दिए जाने से या ज्यादा पैसा होने से बिगड़ जाते हैं।आज मेरी देश की हर अदालत और माता-पिता से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है जिस देश की अदालतें अपने इंसाफ की खातिर न्याय का मंदिर कहलाती हैं उस देश के न्यायाधीशों को लोग भगवान के रूप में सम्मान देते हैं। जहां अपने इंसाफ देने के मामले में राजा विक्रमादित्य के उदाहरण दिए जाते हों और जिस देश में क्षमा एक संस्कृति हो वहां क्षमा के लिए आवाजें उठ रही हों इस बात का सम्मान भी किया जा सकता है। हमारे देश में ऐसे सैकड़ों केस हैं जहां अदालत ने न्याय के मंदिर के रूप में बढ़िया फैसले दिए हैं। मुझे या हम सबको नहीं मालूम की आर्यन ने क्या किया, किससे इसके लिंक हैं या इसको छोड़ने से क्या नुक्सान होगा या क्या सबूत नष्ट होंगे, यह काम तो अदालत और पुलिस का है, परन्तु मेरा मानना है कि जितना समय यह जेल में आम कैदियों के साथ रह रहा है उस समय तक इस युवा को अच्छे से अपनी गलती का अहसास हो गया होगा। उसके माता-पिता ने भी ढूंढने की कोशिश की होगी कि गलती कहां है। यही नहीं हम सबको और विशेषकर माता-पिता और पुलिस को यह देखना, समझना जरूरी है कि यह इन तारों से कैसे जुड़ा, किसने इसको बुरी लत में डाला, क्या वजह थी जो इतने समझदार माता-पिता का बच्चा इसमें पड़ गया। इससे यह बच्चे का ही नहीं और भी एक्टर के बच्चे और देश के युवा बच सकते हैं कि कौन से लोग ऐसे बच्चों का ब्रेनवाश करते हैं और इनको रास्ते से भटकाते हैं, क्योंकि मैं हमेशा से कहती हूं और मानती भी हूं कि कोई भी अपराधी अपनी मां के पेट से पैदा नहीं होता उसे हालात या कुछ गलत तत्व बना देते हैं। जिनका महज मकसद पैसा कमाना या देश को नुक्सान पहुंचाना है। हां ऐेसे बच्चों से उन अपराधियों तक पहुंचा जा सकता है जो इसका मुख्य कारण हैं, जो ड्रग्स बेचते हैं, व्यापार करते हैं, मासूमों की जिन्दगियों से खेलते हैं। ऐसे में कोई खास हो या आम किसी का लिहाज नहीं होना चाहिए।हां यह जरूर कहूंगी अदालत अपना काम कर रही है। हमें अदालत पर भरोसा है, लेकिन क्षमा के आधार पर ऐेसे युवा को यह सोच कर कि अभी इस युवा की या ऐसे अन्य युवाओं की बहुत लम्बी जिन्दगी पड़ी है, इन्हें इनका पहला और आखिरी गलती के आधार पर क्षमा या ऐसी सजा देनी चाहिए जैसे एक फिल्म में एक युवा को बुजुर्गों की सेवा करने की सजा दी थी। ऐसे ही आर्यन को अन्य युवाओं को सुधारने और खुद सुधरने का मौका मिलना चाहिए और शाहरुख खान और गौरी खान को भी कहूंगी आपके पास साधनों की कमी नहीं है तो आप ऐसा सैंटर खोलें जहां ऐसे भटके युवाओं को सुधारा जाए जो जाने अन्जाने में या किसी के जाल में फंस कर इस आदत में पड़़ गए हैं, उन्हें हर युवा में अपना आर्यन दिखेगा तो वह कई युवाओं को भटकने से बचाने का पुण्य कमा लेंगे।