- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- नए कृषि कानूनों के...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कृषि क्षेत्र में लाए गए तीन सुधारवादी कानूनों के विरोध में किसानों का एक वर्ग इन दिनों सड़कों पर आया है। इन किसानों को आशंका है कि इन कानूनों की आड़ में सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर फसलों की सरकारी खरीद और वर्तमान मंडी व्यवस्था से पल्ला झाड़कर कृषि बाजार का निजीकरण करना चाहती है।
हालांकि सरकार का कहना है कि इन तीन कानूनों से कृषि उपज की बिक्री के लिए एक नई वैकल्पिक व्यवस्था तैयार होगी जो वर्तमान मंडी एवं एमएसपी व्यवस्था के साथ-साथ चलती रहेगी। इससे फसलों के भंडारण, विपणन, प्रसंस्करण, निर्यात आदि क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा और साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
पहले कानून में किसानों को अधिसूचित मंडियों के अलावा भी अपनी उपज को कहीं भी बेचने की छूट प्रदान की गई है। सरकार का दावा है कि इससे किसान मंडियों में होने वाले शोषण से बचेंगे, किसानों की फसलों के ज्यादा खरीदार होंगे और उनको फसलों की अच्छी कीमत मिलेगी।
दूसरा कानून अनुबंध कृषि से संबंधित है जो बोआई से पहले ही किसानों को अपनी फसल तय मानकों और कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा देता है।
तीसरा कानून आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन से संबंधित है, जिससे अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज सहित सभी कृषि खाद्य पदार्थ अब नियंत्रण से मुक्त होंगे। इन पर कुछ विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा भी अब नहीं लगेगी।