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परिसीमन का पेच : जम्मू कश्मीर का भूगोल ही नहीं वर्तमान-भूत और भविष्य सब बदलेगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव| नई दिल्ली में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और कश्मीर के नेताओं (Kashmiri Leaders) के साथ हुई बैठक में एक बात क्लीयर हो गई है कि राज्य की विधानसभा सीटों का परिसीमन (Delimitation) होने के बाद ही प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं. इस तरह कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Artical 370) खत्म होने के बाद प्रदेश में अब विजिबल चेंज दिखने वाला है. दरअसल स्पेशल स्टेटस समाप्त होते ही स्टेट की विधानसभा सीटों के परिसीमन का रास्ता तैयार हो गया था, जिसे नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने 2026 तक के लिए कानून बनाकर टाल दिया था. लोकतंत्र का आधार समानता है और अगर समान रूप से रिप्रजेंटशन ही न हो तो कोई भी व्यवस्था लोकतांत्रिक नहीं हो सकती. जम्मू कश्मीर (Jammu And Kashmir) में आजादी के बाद से ऐसा ही हो रहा था. कम जनसंख्या और कम क्षेत्रफल के बावजूद घाटी के लोगों को जम्मू कश्मीर विधानसभा में अधिक रिप्रेजेंटेशन मिला हुआ है. यह असमानता अब नहीं चलने वाली है. यही कारण है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) इसका विरोध कर रहे हैं.