सम्पादकीय

क्रिकेट : परिवर्तन और विवाद

Subhi
11 Dec 2021 1:59 AM GMT
क्रिकेट : परिवर्तन और विवाद
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दुनिया में भारतीय क्रिकेट की धाक है। क्रिकेट भारतीयों की रगों में दौड़े खून की तरह है। दुनिया के सबसे अमीर खेल संघों में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का नाम है और विश्व क्रिकेट में भी बीसीसीआई की तूती बोलती है।

आदित्य नारायण चोपड़ा: दुनिया में भारतीय क्रिकेट की धाक है। क्रिकेट भारतीयों की रगों में दौड़े खून की तरह है। दुनिया के सबसे अमीर खेल संघों में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का नाम है और विश्व क्रिकेट में भी बीसीसीआई की तूती बोलती है। बीसीसीआई के लगातार धनी होने के साथ-साथ क्रिकेटरों पर धन की वर्षा होने लगी तो विवादों का साया भी क्रिकेटरों पर पड़ने लगा। भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के चयन को लेकर गलाकाट प्रतिस्पर्धा है तो टीम के कोच का पद भी हाई प्रोफाइल है। भारतीय क्रिकेट टीम इस समय बदलाव के दौर से गुजर रही है। विराट कोहली को वनडे और टी-20 टीम के कप्तान पद से हटा दिया गया है तो रवि शास्त्री का कार्यकाल भी टी-20 विश्व कप के निराशाजनक प्रदर्शन के साथ खत्म हो चुका है। भारतीय क्रिकेट टीम के कोच पद पर पिछले महीने तक काबिज रहे रवि शास्त्री का दर्द सामने आया है और उन्होंने बीसीसीआई की आंतरिक प्रणाली पर निशाना साधा है। रवि शास्त्री ने कहा कि बीसीसीआई के कुछ लोग मुझे और भरत अरुण को टीम कोच के दौर पर नहीं देखना चाहते थे। रवि शास्त्री ने कहा कि 2014 में भी टीम मैनेजर और कोच के तौर पर अपमानजनक ​तरीके से हटाया गया और 2017 में भी टीम कोच बनना लगभग तय था लेकिन ऐन समय पर अनिल कुम्बले को कोच बना दिया गया। शास्त्री और विराट कोहली की जोड़ी ने काफी उपल​ब्धियां हासिल की हैं, लेकिन दोनों को जिस तरह हटाया गया है उससे लगता है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड नए प्रबंधन और टीम मैनेजमैंट को अवसर देना चाहता है, ताकि वह अपने हिसाब से टीम तैयार कर सकें। शास्त्री को अपने खासमखास विराट कोहली को वनडे टीम के कप्तान से हटाने का भी रंज है और उन्होंने इसको लेकर भी इशारों में निशाना साधा है। गौरतलब है कि विराट के कप्तान बनने के बाद ही उनकी अनिल कुम्बले के साथ तनातनी शुरू हो गई थी, क्योंकि कुम्बले को विराट के काम करने के तरीके से परेशानी थी। विराट कोहली ने आखिरकार बोर्ड से कुम्बले को हटाने के लिए राजी कर लिया था,​ जिस कारण भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल गेंदबाज अनिल कुम्बले को मात्र एक साल के कार्यकाल के बाद ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। विराट ने अपने पसंदीदा रवि शास्त्री को कोच बनवाने में एडी-चोटी का जोर लगाया था। इस प्रक्रिया में वीरेन्द्र सहवाग भी भारतीय टीम का कोच बनने में पिछड़ गए थे। हालांकि उस समय सहवाग कोच बनने के सबसे बड़े दावेदार थे। रवि शास्त्री और विराट कोहली ने इसके बाद भारतीय क्रिकेट को कई सफलताएं दिलवाईं, लेकिन कोई आईसीसी ट्राफी देश को नहीं जितवा पाए। विराट को पहले टी-20 कप्तानी छोड़नी पड़ी तो वनडे टीम की कप्तानी उनसे छीनकर रोहित शर्मा को सौंप दी गई है। विराट-शास्त्री की जुगलबंदी के बीच रोहित को लगातार प्रमोट करके बीसीसीआई ने पहले ही संकेत दे दिया कि परिवर्तन होना अवश्यंभावी है। रवि शास्त्री ने कोच पद से हटने के बाद चुप्पी साध ली थी लेकिन अपने 'शिष्य' विराट की कप्तानी छीनी जाने के बाद उन्होंने बोर्ड पर आरोप लगाया है कि जिस तरह उनको कोचिंग पद से हटाया गया था वह सही नहीं था। टीम से बाहर करने के और तरीके हो सकते थे। जिस तरह कई विवादों के बाद मेरी वापसी हुई वह उन लोगों पर तमाचा था जो मुझे बाहर रखना चाहते थे। शास्त्री ने टीम चयनकर्ताओं को भी निशाने पर रखा उनके चयन मापदंडों को गलत करार दिया । संपादकीय :भारत की रगों में बहता लोकतन्त्रकिसान आन्दोलन की समाप्तिआओ झुककर सलाम करें.संसद की गरिमाराज्यसभा का गतिरोध खत्म होअयोध्या से लौटे बुजुर्ग बोले - मोदी जी और केजरीवाल को आशीर्वादयहां सवाल यह है कि शास्त्री टीम कोच पद पर रहते समय तो सभी बातों को सहन करते रहे लेकिन जैसे ही उनका पद गया उन्होंने टीम कोच प्रक्रिया और चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े ​​किए हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसी पूर्व कोच ने बीसीसीआई और प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। आस्ट्रेलियाई कोच ग्रेग चैपल ने भी वर्तमान अध्यक्ष सौरव गांगुली के साथ टकराव मोल लिया था और गांगुली के साथ ​विवादों के कारण ही उनको अपना पद जल्द छोड़ना पड़ा था। भारतीय क्रिकेट को उस विवाद से काफी नुक्सान झेलना पड़ा था। अब शास्त्री ने गहरे समुद्र में दफन करने योग्य बातों को सतह पर ला दिया है। कहीं इससे भारतीय क्रिकेट को नुक्सान तो नहीं पहुंचेगा। शास्त्री के इन शब्द बाणों से टीम इंडिया का एकजुटता पर असर नहीं आए इसकी कोशिश वर्तमान कोच राहुल द्रविड़ को करनी होगी।क्रिकेट हो या कोई अन्य खेल यह बात सबको समझनी होगी कि हर व्यक्तित्व का एक दौर होता है, हर व्यक्तित्व का एक युग होता है। हमने बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर, सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, महेन्द्र सिंह धोनी और विराट कोहली तक का युग देखा है। हर किसी की अपनी ​व्यक्तिगत उपल​ब्धियां भी हैं, जिस पर राष्ट्र गर्व कर सकता है। लेकिन हर व्यक्तित्व को यह भी समझना होगा कि कोई अपराजेय नहीं होता, बल्कि उन्हें परिवर्तन के यथार्थ को स्वीकार कर नए युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।

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