सम्पादकीय

कोरोना की खोज

Subhi
5 April 2021 1:55 AM GMT
कोरोना की खोज
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दुनिया को अभी कोरोना के बारे में पूरे जवाब नहीं मिले हैं। पहली पहेली ही अभी हल नहीं हुई है

दुनिया को अभी कोरोना के बारे में पूरे जवाब नहीं मिले हैं। पहली पहेली ही अभी हल नहीं हुई है कि आखिर कोरोना कैसे पैदा हुआ? विश्व स्वास्थ्य संगठन की जो टीम चीन दौरे पर गई थी, वह भी पुख्ता जवाब के साथ नहीं लौटी है। उस टीम के पास कुछ आंकड़े भर हैं और इस टीम के सदस्यों को भी लगता है, कोरोना-खोज की यह शुरुआत भर है। कोरोना का जवाब खोजना इसलिए भी जरूरी है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को ऐसी किसी महामारी से बचाया जा सके। वैज्ञानिकों के लिए यह महान चुनौती है। अव्वल तो लगभग एक साल बाद चीन ने अंतरराष्ट्रीय टीम को वुहान पहुंचने दिया। टीम जब वुहान पहुंची, तब वहां शुरू में ही उसे प्रतिकूल माहौल दिया गया। लगभग चार सप्ताह वैज्ञानिक वहां रहे, लेकिन कुछ भी ऐसा उनके हाथ नहीं लगा, जिससे विज्ञान की दुनिया किसी ठोस नतीजे पर पहुंचती। नैतिकता का तकाजा यही है कि चीन स्वयं जांच करके दुनिया को सच बताता। आज पूरी दुनिया में उस पर सवाल उठ रहे हैं। महामारी से चीनी विश्वसनीयता को जो क्षति पहुंची है, उसकी भरपाई के प्रति चीन कितना गंभीर है?

ब्रिटेन के ग्लासगो विश्वविद्यालय से जुड़े वायरोलॉजिस्ट डेविड रॉबर्टसन कहते हैं, चीन से प्राप्त व्यापक आंकड़ों से कुछ ऐसी चीजें पुष्ट हुई हैं, जिनका पहले से ही पता था। अभी भी यह खोज शेष है कि क्या चमगादड़ से यह महामारी सीधे इंसानों में आई? क्या कोई ऐसा जीव था, जिसके जरिए वायरस चमगादड़ों से इंसानों में पहुंचा? यह वायरस लोगों में कैसे आया और फिर लोगों के बीच कैसे फैला? ये तमाम सवाल वैज्ञानिकों को उचित ही मथ रहे हैं। 30 मार्च को एक प्रेस ब्रीफिंग में कोपेनहेगन के नॉर्थलैंड हॉस्पिटल की पब्लिक हेल्थ वायरोलॉजिस्ट (चीन गई डब्ल्यूएचओ टीम की एक सदस्य) थिया फिशर ने कहा, 'यह कोरोना की जड़ खोजने के लिए अपेक्षित लंबी यात्रा का पहला कदम है।' आम लोगों की तरह ही नेचर में प्रकाशित रिपोर्ट भी यह तलाशने की कोशिश करती है कि आखिर चीन से क्या मिला? डॉक्टरों की टीम चीन में उस जीव तक नहीं पहुंच सकी, जबकि वहां हजारों जीवों के परीक्षण की कोशिश हुई। यह टीम चीन के वन्य-जीव बाजारों की ओर भी इशारा करती है और यह भविष्य में पड़ताल का विषय है। टीम की सिफारिशों में यह शामिल है कि वुहान के पशु और वन्य-जीव बाजार का गहराई से अध्ययन किया जाए। जहां तक चीन का सवाल है, तो वह भी अपने स्तर पर जांच में जुटा दिखता है। उसकी निगाह कोरोना के शुरुआती मामलों के नमूनों पर है। वायरस के शुरुआती नमूनों की पड़ताल जरूरी भी है। चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक समझौता किया है, जिसके अनुसार, कोरोना विस्फोट की जांच लंबे समय तक चलेगी। कुछ वैज्ञानिकों को यह आशंका अब कम है कि वायरस किसी प्रयोगशाला से लीक हुआ होगा, लेकिन ज्यादातर वैज्ञानिक मान रहे हैं कि अभी किसी आशंका या संभावना को खारिज नहीं करना चाहिए। कोरोना के प्रति अभी तक कुछ नरम दिखता संयुक्त राष्ट्र कतई न भूले कि दुनिया में 28 लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 13 करोड़ से ज्यादा संक्रमित हुए हैं। अत: कोरोना विस्फोट की जांच पूरी त्वरा और पारदर्शिता के साथ होनी चाहिए, तभी लोगों का मनोबल बढ़ेगा और डब्ल्यूएचओ की प्रासंगिकता भी।


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