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- जैविक युद्ध का हिस्सा...
दिव्य कुमार सोती : कोरोना वायरस से उपजी कोविड महामारी के इस काल में कई ऐसी घटनाएं और तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं, जो राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए उत्पन्न हो रही गंभीर चुनौतियों को रेखांकित कर रहे हैं। महामारी से बुरी तरह प्रभावित ब्राजील के राष्ट्रपति बोलसोनारो ने बिना नाम लिए चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम जो झेल रहे हैं, वह जैविक युद्ध का हिस्सा हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया के एक समाचार पत्र ने भी चीन के सरकारी दस्तावेजों के हवाले से यह दावा किया है कि चीन कोरोना महामारी के वर्षों पहले से इस प्रकार के विषाणुओं का जैविक हथियारों के रूप में इस्तेमाल करने की संभावनाएं तलाश रहा था। गत जनवरी में अमेरिकी विदेश विभाग ने भी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी में चल रहे शोधकार्यों और गुप्त सैन्य गतिविधियों को लेकर संदेह जताया था। इससे पहले चीन सरकार के कामकाज को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन भी सवाल उठा चुका है। इन दिनों यह सवाल भी उठा रहा है कि भला कैसे चीन में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पैदा नहीं हो रहे, जबकि विश्व के बाकी बड़े देश इस महामारी की दूसरी-तीसरी लहर से जूझ रहे हैं।