- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- साजिश नाकाम: पाक को...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर नगरोटा के निकट टोल प्लाजा पर सुरक्षा बलों की मुस्तैदी से न केवल चार खूंखार आतंकवादी मारे गये और बड़ी मात्रा में घातक व आधुनिक हथियार बरामद हुए बल्कि हमने एक बड़े संभावित हमले को भी टाला है। निस्संदेह आतंकवादी जितनी तैयारी करके आये थे, वह बताता है कि वे तबाही फैलाने के मकसद से ही आये थे। हर आतंकवादी के पास चार-चार स्वचालित हथियार यही संकेत देते हैं कि वे कहर बरपाने के लिये लंबी लड़ाई के मकसद से आये थे। प्रथम दृष्टया उनका निशाना जम्मू-कश्मीर में इस माह के अंत में होने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव ही थे। दरअसल, केंद्रशासित प्रदेश में 28 नवंबर से जिला विकास परिषद के चुनाव होने जा रहे हैं। बीते साल जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तमाम तरह के प्रलाप के बाद खिसियाये पाकिस्तान ने अब साजिश रची है कि जम्मू-कश्मीर के लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग न ले सकें। इसी मकसद से पिछले दिनों कई भाजपा के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की हत्या की गई ताकि लोग डर के मारे चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा न लें। निस्संदेह सुरक्षा बलों व सेना की यह एक बड़ी कामयाबी है कि अपना नुकसान किये बिना चारों आतंकवादियों को मार गिराया। निश्चित रूप से हमारी यह बड़ी उपलब्धि है मगर हमें यह विचार करना चाहिए कि हमारी तमाम कोशिशों, सतर्कता, चौकसी और सघन तलाशी अभियान के बावजूद आतंकवादी भारतीय सीमा में इतने घातक हथियारों के साथ कैसे घुस आये। कैसे उन्होंने ट्रक में चावल की बोरियों और रेत के कट्टों के साथ बंकर बनाकर लंबी लड़ाई की तैयारी कर ली थी। निस्संदेह इतनी बड़ी तैयारी आतंकवादी पाक की सरकारी एजेंसियों के प्रशिक्षण और संरक्षण के बिना नहीं कर सकते थे। इसी तरह सुरक्षा बलों ने दिल्ली को दहलाने के मकसद से आये दो जैश के आतंकवादियों को भी गिरफ्तार करके बड़ी साजिश को विफल किया था। इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी की आंखों में धूल झोंकने के मकसद से पाक ने जमात-उद-दावा के सरगना तथा मंुबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद को दस साल की सजा देने का प्रचार किया है। लाहौर की एक अदालत ने आतंकवाद से जुड़े मामलों व आतंकियों को फंडिंग के आरोपों के बीच सईद को दस साल की सजा सुनायी है। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि आतंकवादियों के साथ यह नूरा कुश्ती का खेल लंबे समय से जारी है। दरअसल यह कोशिश आतंकवाद का पोषण करने वाली सरकारों की निगरानी करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ को गुमराह करने का प्रयास है, जिसने पाक को ग्रे श्रेणी में रखा है। दरअसल, पाकिस्तान सरकार द्वारा अातंकवादियों के पोषण के प्रयास न रुकने पर पाक को काली सूची में डालने की चेतावनी दी गई है लेकिन कम से कम भारत तो पाक के भ्रामक प्रचार के झांसे में नहीं आने वाला। बल्कि भारत को पाकिस्तान पर इस बात के लिये नये सिरे से दबाव बनाना चाहिए कि मुंबई हमले के दोषियों को शीघ्र सजा दी जाये। इसमें भारत को विश्व बिरादरी का समर्थन भी हासिल करना चाहिए क्योंकि इस हमले में ब्रिटेन, अमेरिका और इस्राइल आदि देशों के नागरिक भी आतंकवादियों की क्रूरता का शिकार बने थे। साथ ही दुनिया को यह भी बताना चािहए कि पाक कैसे दुनिया की आंखों में धूल झोंककर आतंकवादियों के सरगनाओं को जेल के भीतर भी सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराता रहता है। आतंकी सरगना जेल के भीतर से भी वैश्विक स्तर पर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं, जिसमें सेना और कुख्यात आईएसआई जैसे सरकारी संगठनों की भी बड़ी भूमिका रहती है। यही वजह है कि भारत और अफगानिस्तान ही नहीं, दुनिया के कई देश पाक सरकार पोषित आतंकवादियों का शिकार बन रहे हैं। सही मायनो में पाक में सत्ता के संरक्षण में बने आतंक के ढांचे पर प्रहार करने की जरूरत है।