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संयम श्रीवास्तव। कोरोना महामारी से मुकाबला करता देश, ऑक्सीजन के लिए संघर्ष करते लोग, मरीजों को अस्पताल में दाखिल कराने के लिए भागते-दौड़ते तीमारदार , वैक्सीन के लिए लाइन में लगे बूढ़े और जवान और श्मशान में डेडबॉडी जलाने के इंतजार में बैठी भीड़ जानती है कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए शासन और प्रशासन ने क्या किया है? जाहिर है कि चाहे शासन स्तर पर या प्रशासन स्तर पर जो भी किया गया है वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है. ऐसे समय में जब 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करके सेंट्रल विस्टा परियोजना को पूरा करने की बात होती है तो आम आदमी तिलमिलाएगा ही. और ऐसे ही मौके की ताक में होते हैं कुछ नेता ताकि जनता की भावनाओं से खेला जा सके. आज देश में इस कारण ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के विरोध में कुछ लोग दिन रात एक किए हुए हैं. पर क्या यह सत्य नहीं है कि घर में किसी की मौत या सामूहिक मौत होती है तो दुनिया रुक नहीं जाती है.