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सम्पादकीय
भगवंत मान चाहते हैं कि पूरा चंडीगढ़ पंजाब को मिल जाए, क्या उनका हक बनता है?
Gulabi Jagat
2 April 2022 11:14 AM GMT
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इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के स्वामित्व को लेकर दावों पर पुराना विवाद फिर से शुरू हो गया है
प्रशांत सक्सेना।
पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश कर चंडीगढ़ (Chandigarh) को पंजाब को तत्काल स्थानांतरित करने की मांग की है. इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के स्वामित्व को लेकर दावों पर पुराना विवाद फिर से शुरू हो गया है. सीएम मान ने केंद्र पर केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन में संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. विधानसभा में प्रस्ताव के नोटिस में मान ने कहा है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के तहत पंजाब राज्य को हरियाणा के अलावा केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और पंजाब के कुछ हिस्सों को तत्कालीन केंद्र शासित प्रदेश हिमाचल प्रदेश में बांट दिया गया था.
"तब से भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड जैसी साझा संपत्तियों को पंजाब और हरियाणा के नामांकित व्यक्तियों को एक निश्चित अनुपात में प्रबंधन के पदों को देकर प्रशासन में तारतम्य बैठाने की कोशिश का उल्लेख किया गया. अपनी कई हालिया कार्रवाइयों के माध्यम से केंद्र सरकार इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश कर रही है," उन्होंने नोटिस में कहा. यहां पर हम एक बार दोबारा पूरे विवाद पर रोशनी डालते हैं-
चंडीगढ़ क्यों बनाया गया?
चंडीगढ़ को पूर्वी पंजाब की राजधानी माना जाता था. वह ब्रिटिश पंजाब प्रांत का पूर्वी भाग था जो विभाजन के बाद भारत के हिस्से में आया. ब्रिटिश पंजाब प्रांत का पश्चिमी हिस्सा (पश्चिम पंजाब) राजधानी लाहौर के साथ पाकिस्तान में चला गया. लाहौर ब्रिटिश पंजाब प्रांत की राजधानी भी थी. मार्च 1948 में भारत सरकार के नियंत्रण में आए पूर्वी पंजाब प्रांत की राजधानी के रूप में शिवालिक की पहाड़ियों की तलहटी वाली जमीन को राजधानी के रूप में केंद्र के साथ बातचीत के बाद प्रस्तावित किया गया. राज्य बनने के बाद 1950 में प्रांत का नाम बदलकर पंजाब कर दिया गया. 1952 से 1966 तक चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी रहा.
पंजाब पुनर्गठन अधिनियम
1966 में पंजाब से ही अलग करके हिमाचल प्रदेश और हरियाणा राज्य बनाया गया. पंजाब के विभाजन के बाद कई अंतरराज्यीय मुद्दों ने जन्म लिया जिनमें चंडीगढ़ का स्थानांतरण भी एक था. उस समय चंडीगढ़ पंजाब का हिस्सा था लेकिन हरियाणा ने मांग की कि चंडीगढ़ को हरियाणा का हिस्सा बनाया जाए. स्थिति को शांत करने के लिए केंद्र ने उस समय चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया और तब से यह दोनों राज्यों के बीच एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है. कानून के मुताबिक भले ही चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश था मगर पंजाब का मौजूदा कानून उस पर लागू होना था.
संपत्ति का बंटवाराः तत्कालीन पंजाब राज्य के पुनर्गठन के समय पंजाब और हरियाणा के बीच संपत्तियों को क्रमशः 60:40 के अनुपात में बांटने का निर्णय लिया गया. हालांकि पंजाब ने जोर दिया कि चूंकि चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी के रूप में बनाया गया था इसे मूल राज्य को ही मिलना चाहिए. भाषा के आधार पर तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे नए राज्यों और दूसरे राज्यों में भी इसी प्रणाली का पालन किया गया था.
पंजाब का दावा
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि आने वाले समय में हरियाणा की अपनी राजधानी होगी और चंडीगढ़ पंजाब को मिलेगा. लोकसभा में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार हरियाणा के अस्तित्व में आने के लगभग तीन साल बाद केंद्र ने 29 जनवरी, 1970 को इस संबंध में एक औपचारिक पत्र भी जारी किया. नोट में कहा गया, "दोनों राज्यों के दावों को बहुत सावधानी से देखने के बाद पूरे चंडीगढ़ को राजधानी के रूप में पंजाब में जाना चाहिए." 1985 में दोबारा राजीव-लोंगोवाल समझौते के तहत 26 जनवरी 1986 को चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपा जाना था लेकिन राजीव गांधी सरकार ने अंतिम समय में अपने कदम पीछे खींच लिए.
हरियाणा का दावा
1970 के रिकॉर्ड बताते हैं कि केंद्र ने मामले को सुलझाने के लिए शहर के विभाजन सहित कई विकल्पों पर विचार किया था. लेकिन यह व्यावहारिक नहीं था क्योंकि चंडीगढ़ को केवल एक राज्य की राजधानी के रूप में ही तैयार किया गया था. हरियाणा से कहा गया था कि वह चंडीगढ़ में कार्यालय और आवासीय परिसर का उपयोग केवल पांच साल के लिए करे जब तक कि उसकी अपनी राजधानी तैयार नहीं हो जोए. केंद्र ने हरियाणा को 10 करोड़ रुपये का अनुदान और नई राजधानी की स्थापना के लिए इतनी ही राशि की ऋण की पेशकश की थी.
2018 में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ के विकास के लिए एक विशेष निकाय स्थापित करने का सुझाव दिया मगर तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि चंडीगढ़ "निर्विवाद रूप से पंजाब का है." हरियाणा एक अलग उच्च न्यायालय की मांग कर रहा है और पंजाब के कब्जे वाले विधानसभा परिसर में 20 कमरों की मांग के लिए राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर पंजाब के दावे पर विवाद खड़ा कर चुका है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
Gulabi Jagat
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