सम्पादकीय

पूर्वांचल के बाहुबलियों ने फिर से आपस में बांट ली एमएलसी सीटें

Gulabi Jagat
15 April 2022 7:02 AM GMT
पूर्वांचल के बाहुबलियों ने फिर से आपस में बांट ली एमएलसी सीटें
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इस लिस्ट के आने के बाद एमएलसी चुनावों के नतीजों का अनुमान लगाना काफी आसान हो चला था
उत्पल पाठक |
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव ख़त्म होने के ठीक बाद ही प्रस्तावित स्थानीय निकाय एमएलसी चुनावों (MLC Election) की प्रक्रिया आरम्भ होते ही पूर्वांचल (Purvanchal) में बाहुबलियों की सीधी आमद और कुछ इलाकों में पिछले दरवाज़े से की गयी दखल स्पष्ट हो चुकी थी. बीजेपी ने पहले चरण में प्रदेश की 36 सीटों में से 30 सीटों के नाम वाली लिस्ट पहले ही जारी कर दी थी और बची हुई 6 सीटों पर बाहुबली प्रत्याशियों के उतरने के कयास लगाये जा रहे थे. क्योंकि इन 6 सीटों में जौनपुर, वाराणसी, एवं मिर्ज़ापुर-सोनभद्र की सीटें भी थीं और स्थानीय समीकरणों के कारण इन सभी सीटों पर बाहुबलियों के आने के प्रबल आसार लग रहे थे. बहरहाल, नामांकन दाखिल करने के आख़िरी दिन वाराणसी समेत अन्य 5 सीटों के नाम घोषित हुए और इस लिस्ट के आने के बाद एमएलसी चुनावों के नतीजों का अनुमान लगाना काफी आसान हो चला था.
मिर्ज़ापुर-सोनभद्र
बचे हुए प्रत्याशियों की लिस्ट में श्याम नारायण सिंह उर्फ़ विनीत सिंह का नाम मिर्ज़ापुर-सोनभद्र सीट से घोषित होते ही यह तय हो गया था कि विजय मिश्रा के जेल में होने और बीजेपी के प्रबल समर्थन और विनीत के स्वयं के प्रभुत्व के कारण उनकी जीत पक्की है. विनीत ने नामांकन करते समय ही 90 प्रतिशत वोटरों को वहां खड़ा करके अपने राजनैतिक शौर्य का प्रदर्शन किया गया और विनीत के खिलाफ खड़े हुए एसपी प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके फलस्वरूप विनीत बिना चुनाव लड़े ही निर्विरोध निर्वाचित हो गए.
जौनपुर
बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह के करीबी बृजेश सिंह उर्फ़ प्रिंशु सिंह इस बार बीजेपी से अधिकृत उम्मीदवार थे, प्रिंसू को टिकट मिलने से यह स्पष्ट हो गया था कि धनंजय के प्रति बीजेपी की नरमी अब भी कायम है, हाल ही में बीते विधानसभा चुनाव में एसपी प्रत्याशी से हारने के बावजूद बीजेपी नेतृत्व ने धनंजय पर भरोसा जताया और धनंजय ने भी इस भरोसे को कायम रखा. जौनपुर के करंजाकलां ब्लॉक के पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रिंशु सिंह बीजेपी से जीतने के पहले इसी सीट से बीएसपी से एमएलसी थे और धनंजय की ही मदद से पिछली बार तत्कालीन बीजेपी प्रत्याशी सतीश सिंह को हराकर निर्वाचित हुए थे. धनंजय की पत्नी श्रीमती श्रीकला सिंह पहले ही पंचायत अध्यक्ष हैं, ऐसे में एमएलसी प्रिंशु सिंह की जीत को लेकर कोई संशय नहीं था.
बलिया
हत्या जैसे गंभीर आपराधिक आरोपों में नामजद रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू बलिया से एमएलसी पद का चुनाव आसानी से जीतने में कामयाब हुए. गौरतलब है कि पप्पू सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पौत्र हैं और वे चौथी बार बलिया से एमएलसी चुने गए हैं. पिछले वर्ष नवम्बर के महीने में पप्पू सिंह द्वारा बीजेपी की औपचारिक सदस्यता लिए जाने के बाद से ही विधान परिषद चुनाव के राजनीतिक समीकरण बदल गए थे. पप्पू सिंह के बीजेपी में जाने के बाद बलिया में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के परिवार से एसपी के रिश्ते पूरी तरह ख़त्म हो गए थे. लोक सभा चुनाव के बाद राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर द्वारा एसपी छोड़कर बीजेपी के कोटे से दोबारा राज्यसभा जाने के बाद से यह कयास लग रहे थे कि आने वाले दिनों में एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू भी एसपी छोड़ बीजेपी में जा सकते हैं. टिकट मिलने के बाद से ही पप्पू की जीत तय मानी जा रही थी.
गाज़ीपुर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबियों में शुमार विशाल सिंह चंचल गाजीपुर सीट से एमएलसी का चुनाव जीतने में सफल रहे. व्यापारिक पृष्ठभूमि के विशाल सिंह चंचल का राजनीतिक जीवन वर्ष 2016 में शुरू हुआ, जब उन्होंने निर्दल चुनाव लड़ कर तत्कालीन एसपी प्रत्याशी डॉ. सदानंद सिंह को पराजित किया और एमएलसी चुने गए. इस जीत के बाद से ही उनका पूर्वांचल में सियासी कद बढ़ता चला गया और 2017 की योगी सरकार आने के बाद वे मुख्यमंत्री के करीबियों में शुमार हो गए. मुख्यमंत्री के गाजीपुर आने के दौरान चंचल हमेशा उनके साथ दिखाई देते थे और उनका रसूख पूरे पांच साल तक देखा गया. उनकी जीत इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि गाजीपुर जिले में इस बार बीजेपी सात में से एक भी विधानसभा सीट नहीं जीत सकी थी.
आज़मगढ़-मऊ
दूसरी तरफ, हाल ही में बीजेपी से निष्कासित किए गए एमएलसी यशवंत सिंह के पुत्र विक्रांत सिंह उर्फ रीशू ने आजमगढ़-मऊ सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की है. गौरतलब है कि विधानपरिषद के चुनाव से ठीक पहले एमएलसी यशवंत सिंह को बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था, क्योंकि वे आजमगढ़ सीट पर बीजेपी के घोषित प्रत्याशी के खिलाफ अपने बेटे विक्रांत सिंह को चुनाव में मदद कर रहे थे. विक्रांत बीजेपी के टिकट के दावेदार थे और उनके समर्थकों के अनुसार उन्होंने पार्टी से चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर ली थी. लेकिन आखिरी समय में उनका टिकट कट जाने के बाद वे बागी हो गए और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ कर जीत हासिल की. हालांकि उनकी जीत के बाद अब यह स्पष्ट है कि उनके पिता का निष्कासन वापस हो जाएगा. जीत मिलने के बाद विक्रांत ने अपनी आस्था योगी आदित्यनाथ में जतायी थी और उनके पिता यशवंत सिंह ने भी निष्कासन के बाबत अपना रुख स्पष्ट किया था. अब एमएलसी यशवंत सिंह और उनके बेटे निर्दलीय एमएलसी एक साथ विधान परिषद में बैठेंगे, क्योंकि यशवंत सिंह 2018 में विधान परिषद सदस्य चुने गए थे.
वाराणसी
इस सीट पर पूर्वांचल के सर्वाधिक चर्चित बाहुबली पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह उर्फ़ पूनम सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी को भारी मतों से हराकर जीत दर्ज की है. बीजेपी के गढ़ में पार्टी के प्रत्याशी का तीसरे स्थान पर रहना अपने आप में बड़ा सवाल है, लेकिन इस सवाल का जवाब मिल पाना फिलहाल असंभव है. बहरहाल बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने भी चुनाव जीतने के उपरान्त मीडिया से बातचीत के क्रम में योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों में आस्था जताई है.
क्षत्रिय बनाम यादव
इस चुनाव में क्षत्रिय जाति का दबदबा एक बार फिर से बरक़रार रहा है. प्रदेश की कुल 36 में से 18 सीटों पर क्षत्रिय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. बीजेपी ने कुल 16 क्षत्रिय प्रत्याशियों को टिकट दिया था और उनमें से 15 प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है. निर्दल प्रत्याशी के रूप में जीतने वाले तीन अन्य एमएलसी भी इसी जाति से हैं. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने 21 यादव प्रत्याशियों को टिकट दिया था, लेकिन उनमें से किसी को भी जीत नहीं मिली.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)



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