सम्पादकीय

Article: भाइयों की रक्षा सूत्र निभाती बहनें

Gulabi Jagat
28 Oct 2024 9:38 AM GMT
Article: भाइयों की रक्षा सूत्र निभाती बहनें
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Article: जब मैं छोटी थी तो मामा जब भी घर आते थे हम सबके लिए बहुत सारी चीजें लाते थे। अपने दोस्तों को जरूर दिखाते थे, उन्हें खिलाते भी थे और वे अक्सर कहते थे कि तुम्हारे मामा बहुत अच्छे हैं। मामाजी हमेशा मां के सुख दुख में एक दोस्त एक पिता की तरह भूमिका निभाते हैं।
तब मुझे यह बात समझ में नहीं आती थी कि पड़ोसी और रिश्तेदारी क्यों कहते हैं। हां मगर जब मैं आज सोचती हूं तो मुझे भी लगता है वाकई मेरे मामा बहुत अच्छे हैं।हमेशा हमे स्नेह किया। अपने बच्चों की तरह हमारी केयर की। मेरी मम्मी व सास का
फोन जब भी बिजी
रहता है तो मैं कहती हूं मामा से बात कर रहे थे वह पूरे दिन में किसी से बात करे ना करे लेकिन मामा से जरूर बात करती है। मैं आज भी अपनी मां और सास को हमेशा अपने भाइयों की परवाह करते देखा है। उनके लिए प्रार्थना करते उनका जिक्र करते हर वक्त सुनती हूं। हमेशा उनसे जुड़ी रहती है।
सच में बड़ा अनमोल है भाई बहन का रिश्ता। जब छोटे रहते हैं तो भाई-बहन आपस में लड़ते झगड़ते हैं और जैसे बड़े होते तो उन्हें अपनी जिम्मेदारी और स्नेह का एहसास होता है। मैं कई कई महीनों तक अपने भाई से बात नही करती हूं मगर मुझे उनके बारे में सब पता रहता है। मैं हर दिन उनके लिए प्रार्थना जरूर करती हूं ।

कुछ रिश्तों को हम शब्दों से बयां नहीं करते, न उन पर जोक बनते हैं और न ही दोस्तों में इतना दिखावा करते हैं । ऐसा ही रिश्ता है भाई दूज जिसे यम द्वितीय भी कहते हैं। भाई बहन का प्रेम ,मान सम्मान प्रकट करने का दिन होता है |
सोशल मीडिया ने बहुत कुछ बदल दिया है। रिश्ते सब फोन तक सीमित होने लगे हैं मगर फिर भी सनातन धर्म में ऐसे रीति रिवाज परंपरा आज भी कायम है जो रिश्तों को भी कायम रखे हुए है। इस दिन यमराज, चित्रगुप्त ,भगवान गणेश और विष्णु की पूजा की जाती है ।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और संज्ञा की दो संतानें - एक पुत्र यमराज, दूसरी पुत्री यमुना है। एकबार संज्ञा सूर्य के तेज को सहन नहीं कर पा रही थीं तो वह उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगीं। जिसके कारण ताप्ती नदी और शनिदेव का जन्म हुआ। संज्ञा के उत्तरी ध्रुव में बसने के कारण
यमलोक ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई और यमुना गोलोक में निवास करने लगीं। लेकिन यमराज और यमुना के बीच बहुत प्रेम और स्नेह था। एक बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को यमुना ने अपने भाई यमराज को निमंत्रण भेजा। यमुना के निमंत्रण पर यमराज यमुना के घर आ गए। यमुना ने स्नान व पूजन के बाद स्वादिष्ट व्यंजन यमराज को दिए और आदर सत्कार किया। यमुना के सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और वरदान मांगने का आदेश दिया। यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो बहन इस दिन भाई का आदर सत्कार कर टीका करे, उसको तुम्हारा भय ना रहे। यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया और वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान कर गए। उसी दिन से भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई।
एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी।
भाई दूज साल में दो बार मनाया जाता है दिवाली के दूसरे दिन वह होली के बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भाई को तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराया जाता है । उनके सुख समृद्धि शांति अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं जिनसे हम आत्मिक रूप से जुड़े रहते हैं मां के जाने के बाद बहने एक मां के रूप में और भाई एक पिता की भूमिका के रूप में होता है यह कैसा रिश्ता है जिसमें लेनदेन से ज्यादा महत्व , स्नेह अपनत्व का होता है तो हम सबको भाई दूज मनाना चाहिए और आप सबको भाई दूज की बहुत- बहुत बधाइयां आपकी प्रार्थनाएं आपके भाई को लंबी उम्र अच्छा स्वास्थ्य दे इसलिए शुभकामना के साथ।

ट्विंकल आडवाणी

बिलासपुर ,छत्तीसगढ़

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