सम्पादकीय

कश्मीर से हर हाल में रोकना होगा एक और पलायन, ताकि पूरा न हो पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों का एजेंडा

Gulabi Jagat
3 Jun 2022 6:27 AM GMT
कश्मीर से हर हाल में रोकना होगा एक और पलायन, ताकि पूरा न हो पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों का एजेंडा
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कश्मीर से हर हाल में रोकना होगा एक और पलायन
प्रो. राकेश गोस्वामी। बीते दिनों कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकियों द्वारा दलित अध्यापिका रजनी बाला की हत्या के बाद घाटी में मौजूद हिंदुओं के बीच जो खौफ पैदा हुआ, उसे इसी जिले में एक बैंक मैनेजर विजय कुमार की टारगेट किलिंग ने और बढ़ा दिया है। वह मूलत: राजस्थान के थे। उनकी हत्या से पहले बडग़ाम जिले में कश्मीरी राहुल भट्ट की हत्या के बाद हिंदू कर्मचारियों ने कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया था और यह कहा था कि उनके सामने फिर से पलायन के अलावा और कोई राह नहीं दिखती। चूंकि लगातार हो रही टारगेट किलिंग से घाटी में तैनात हिंदू कर्मचारियों और अन्य अल्पसंख्यकों में भय और असुरक्षा की भावना व्याप्त हो रही है, इसलिए वे मांग कर रहे हैं कि कश्मीर में सुरक्षा हालात पूरी तरह सामान्य होने तक उन्हें जम्मू संभाग में स्थानांतरण कर दिया जाए। आतंकियों ने पिछले 20 दिनों में सात लोगों को लक्ष्य बनाकर मौत के घाट उतारा है। यह आंकड़ा चिंतित करने वाला है।
जब केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन हालात लगातार बेहतर होने का दावा कर रहे हों तब आतंकियों का आम नागरिकों, खासतौर पर हिंदुओं को निशाना बनाना कितना परेशानी भरा है, यह गृहमंत्री अमित शाह की ओर से कश्मीर के हालात की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने से होती है। अमित शाह कश्मीर की स्थिति की समीक्षा पिछले 15 दिनों में दूसरी बार कर रहे हैं। घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के साथ देश के दूसरे हिस्सों के गैर कश्मीरियों की टारगेट किलिंग को देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घोषणा की है कि कश्मीर में तैनात अल्पसंख्यक समुदाय के सभी कर्मचारियों को छह जून तक सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। अभी तक लगभग साढ़े चार हजार कश्मीरी पंडितों को प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत सरकारी नौकरी दी गई है। इनमें से सभी कश्मीर में तैनात हैं। आतंकी बार-बार इस समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें घाटी से पलायन करने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। आतंकी संगठन लगातार वीडियो जारी कर कश्मीरी हिंदुओं और देश के दूसरे हिस्से के कर्मचारियों और अन्य लोगों को कश्मीर छोडऩे के फतवे जारी कर रहे हैं।
राहुल भट्ट की हत्या के बाद पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों ने कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को आश्वस्त किया था कि उनकी सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी और दहशत फैलाने वालों को उनके अंजाम तक जल्द पहुंचाया जाएगा। ऐसा हुआ भी। पिछले कुछ दिनों में हुई टारगेट किलिंग में लिप्त आतंकियों को सुरक्षाबलों ने एक या दो दिन में ही मौत के घाट उतार कर माकूल बदला लिया। इसके बाद भी जिस तरह रजनी बाला और विजय कुमार की हत्या हुई, उससे हिंदुओं के मन में खौफ घर कर रहा है और वे पलायन की बात कर रहे हैं। यदि वे समचमुच घाटी छोड़कर चले जाते हैं तो पाकिस्तान और उसकी परस्ती में फल फूल रहे आतंकी संगठनों का एजेंडा पूरा हो जाएगा। स्पष्ट है कि पलायन को हर हाल में रोका जाना चाहिए।
कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जंग चल रही है। टारगेट किलिंग में मारे गए हिंदुओं का बलिदान सेना और पुलिस के बलिदानियों से कहीं कम नहीं है। आतंक से जंग सिर्फ सेना और पुलिस के जवान ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों को भी लडऩी पड़ेगी। आतंकियों का डटकर मुकाबला करते हुए उनके नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने के बारे में सोचा जाना चाहिए। यह भी उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 370 और 35-ए हटने के बाद घाटी के सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है। आतंकी संगठनों की फंडिंग से लेकर सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर प्रहार किया गया है। सुरक्षा बलों द्वारा बड़ी संख्या में आतंकियों को मारा जा रहा है। इनमें से ज्यादातर कमांडर हैं। सरकार ने आतंक को पोषित करने वाले स्थानीय नेटवर्क की कमर तोड़ दी है। स्थानीय लोगों ने आतंकियों के फरमान मानना बंद कर दिया है। इससे पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं की कुर्सी हिलने लगी है। टारगेट किलिंग में तेजी आतंकियों की हताशा की परिचायक है। वे बौखलाहट में आकर कभी निहत्थे पुलिसकर्मी सैफ कादरी की हत्या करते हैं तो कभी टीवी कलाकार अमरीना बट को गोलियों से भून डालते हैं। उनकी बौखलाहट इसे लेकर भी है कि उनकी दहशतगर्दी के बावजूद कश्मीर सैलानियों से गुलजार है। श्रीनगर और पहलगाम सरीखे पर्यटन स्थलों पर होटल में कमरे उपलब्ध नहीं हैं। श्रीनगर एयरपोर्ट से रिकार्ड संख्या में उड़ान भरी जा रही है।
आतंकियों की खौफनाक गतिविधियों के बाद भी 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा प्रबंध न सिर्फ पुख्ता किया जा रहा, बल्कि कुछ नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। एंटी ड्रोन प्रणाली के इस्तेमाल से लेकर आधार शिविरों तक हेलीकाप्टर सेवा और मुफ्त बैटरी कार की सुविधा के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करके जम्मू-कश्मीर प्रशासन और श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड इस यात्रा को विशेष बनाना चाहते हैं। सुरक्षा बल जानते हैं कि हर वर्ष अमरनाथ यात्रा से पहले आतंकी हमले तेज हो जाते हैं। आतंकी संगठन कश्मीर के बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भयभीत करने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से की जा रही तैयारियों से साफ है कि इस बार रिकार्ड संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। ऐसे में एक ओर जहां कश्मीर में रह रहे हिंदुओं को सुरक्षा बलों पर विश्वास करना चाहिए, वहीं हिंदू कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के साथ ही सरकार को आतंक की कमर तोडऩे के कुछ नए उपाय करने चाहिए।
(लेखक भारतीय जन संचार संस्थान, जम्मू के क्षेत्रीय निदेशक हैं)
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