सम्पादकीय

अमृत महोत्सव

Gulabi Jagat
11 Aug 2022 4:30 AM GMT
अमृत महोत्सव
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मौजूदा अमृत महोत्सव का एक रोचक तथ्य जो कम ही लोगों को याद होगा
मौजूदा अमृत महोत्सव का एक रोचक तथ्य जो कम ही लोगों को याद होगा, वह है कि जब स्वतंत्रता दिवस के 50 वर्ष पूर्ण होने पर इसकी गोल्डन जुबली मनाई गई थी, तब उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक गुरु अटल बिहारी वाजपेयी थे और उस समय भी जब भाजपा की एनडीए सरकार ने यह उत्सव मनाया था तो वे मंजऱ आज भी लेखक और बहुत से उसकी उम्र के लोगों के मस्तिष्क में साफ महफूज हैं। जिस प्रकार से मोदी जी ने तिरंगे को अति विशिष्ट मान-सम्मान प्रदान किया है, उसी प्रकार से 25 वर्ष पूर्व वाजपेयी जी ने भी यही किया था और यह उन विपक्षियों के मुख पर जोरदार तमाचा है जो कहते हैं कि संघ तिरंगे को नहीं मानता। 25 वर्ष पूर्व हालांकि मोदी जी मात्र एक जुझारू नेता थे भाजपा और संघ के, मगर भारत की आज़ादी को लेकर उनके मन में जो कौतूहल था, भगवान ने आज उसकी पूर्ति की है, क्योंकि इस बार उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को भी इंसाफ दिया जाएगा जिनकी कुर्बानियों को कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा के लोग पिछले 75 वर्ष से नकारते चले आए हैं।
कांग्रेसियों और वामपंथियों ने इतिहास की रचना इस प्रकार से की कि भारत के वरिष्ठतम स्वतंत्रता सेनानियों, जैसे वीर सावरकर को न केवल भुला दिया बल्कि बतौर एक विलेन के तौर पर पेश किया और उनके द्वारा दिए गए बलिदानों को 'माफी' के रूप में प्रस्तुत किया। जब स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था तो उसमें हर धर्म और समाज के लोग थे जिसमें हिंदू महासभा, आरएसएस, अल-आहरार, खिलाफत आंदोलन आदि जैसे समूहों के अतिरिक्त संघ से जुड़े कुछ नाम जैसे चांदनी चौक के सेठ राम चंद्र गुड़वाले, बुद्धिराम अंबालवी आदि भी शामिल थे। इनके बलिदानों का गुणगान मात्र संघ के वरिष्ठ विचारक व प्रचारक अरुण कुमार ही करते हैं और कोई अजब नहीं कि स्वतंत्रता के इस अमृत महोत्सव पर इन सबको इंसाफ दिए जाने के अतिरिक्त और बहुत से लोगों को भी उनका हक दिया जाए।
भारत और प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह महोत्सव इस लिए भी अति महत्त्वपूर्ण है कि आज 75 वर्ष पूर्ण करने के बाद भारत विश्व गुरु बनने की कगार पर खड़ा हुआ है, जिसके लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों का सहयोग तो रहा ही है, मगर नरेंद्र मोदी का रोल इस लिए बड़ा है कि पहले तो उन्होंने पिछले 55-60 वर्षों के गड्ढों को पाटा है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि तो यह है कि भारत को उन्होंने वह सम्मान दिलाया है जो आज तक नहीं मिला था। इसके अतिरिक्त जो उपलब्धियां मोदी सरकार-1 और 2 की हैं, उनके कारण स्वतंत्रता के इस 75वें उत्सव की बात ही कुछ और है। 500 वर्ष से भी अधिक से अधर में लटका, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण की मांग लंबे समय से चली आ रही थी। इस विवादास्पद मुद्दे पर भाजपा ने जो संकल्प लिया था, वह संकल्प भी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले ही वर्ष में पूरा हो गया। मोदी की इतनी अधिक उपलब्धियां हैं कि यह समझ में नहीं आता कि सबसे बड़ी कौनसी है! कोरोना काल में भारत ने 100 देशों को दवाओं का निर्यात किया और जरूरतमंद देशों को 21 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध कराई। ये उपलब्धियां अमृत महोत्सव की सार्थकता को बढ़ाती हैं।
फिरोज बख्त अहमद
स्वतंत्र लेखक
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