- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- जीवनरूपी सड़क पर सारे...
सम्पादकीय
जीवनरूपी सड़क पर सारे ट्राफिक 'जोखिम से बेपरवाह' होते हैं, फर्क करते हुए लोगों की सीमाएं स्वीकारें और फिर चाल चलें
Gulabi Jagat
20 April 2022 8:53 AM GMT
x
ओपिनियन
एन. रघुरामन का कॉलम:
आप हफ्ते में किसी भी दिन मुंबई एयरपोर्ट से उड़ान भरें और दिल्ली उतरें, आपको वही ब्रेबोन या वानखेड़े स्टेडियम से निकलने वाला अहसास होगा, खासकर अपनी पसंदीदा मुंबई इंडियंस टीम के हर टीम से हारने के बाद और उन टीमों के वे मुट्ठी भर समर्थक अफरा-तफरी जितना शोर मचाते हैं। मैं यह साबित करने के लिए सही व्यक्ति हूं, क्योंकि ज्यादातर मैच मुंबई में हो रहे हैं और मैं इन जगहों से भारी भीड़ और सुरक्षा के बीच निकलता हूं।
इसी तरह अपनी आधिकारिक यात्राओं के लिए मैं अक्सर एयरपोर्ट जाता रहता हूं। गुस्साए यात्रियों की लंबी बेकाबू कतार में कुछ लोग फ्लाइट लेट होने के लिए एयरलाइन को कोस रहे हैं, तो कुछ लोग बिना किसी गलती के उनकी फ्लाइट मिस कराने के लिए चिल्ला रहे हैं।
गर्मी में न सिर्फ एयरपोर्ट सुरक्षा जांच के दौरान लंबी कतारें लगी हैं बल्कि एयरपोर्ट के अंदर हर जगह कतार है और विमान तक पहुंचने में दो घंटे लग रहे हैं और जिन लोगों के पास ज्यादा समय नहीं है, वे खीझ रहे हैं और अपनी आवाज ऊंची करके चिंता जाहिर कर रहे हैं, जिसे बाकी यात्रीगण और एयरलाइन अधिकारी 'उद्दंड' व्यवहार करार दे रहे हैं।
ऊपर के इस पैराग्राफ का सार ये है कि हम सब यात्राओं की ओर लौट आए हैं, शहर के अंदर और बाहर और वो भी ऐसे जैसे कोई बदला ले रहे हों। पर मेरी चिंता यह है कि हम परिणाम की फ्रिक किए बिना बेपरवाह हो गए हैं! शहर में लगभग हर कोई और एयरपोर्ट पर ज्यादातर लोग बिना मास्क-सामाजिक दूरी के नजर आ रहे हैं।
एनसीआर में कोविड में हालिया उछाल ने खतरे की घंटी बजा दी है। सरकारी एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या कोई नया कोविड वैरिएंट आ रहा है और विशेषज्ञ नजर रख रहे हैं कि चौथी लहर आ रही है या नहीं, ऐसे में हमारी जवाबदारी है कि यू-टर्न लें! कल मैंने अपनी 'दूधवाला फ्लाइट' (अलसुबह) से यात्रा निरस्त कर दी, बूस्टर डोज़ लगवाने गया और तीन दिन बाद की देर रात वाली फ्लाइट फिर से बुक की क्योंकि देर रात की फ्लाइट में अक्सर कम भीड़ होती है और ज्यादातर यात्री शहर पहुंचने पर होटल के खर्च से बचने के लिए इसमें यात्रा से बचते हैं।
मैं गया और कुछ एन95 मास्क फिर से खरीदे, अपने लैपटॉप बैग में सैनिटाइजर की छोटी बोतल और सूटकेस में बड़ी बोतल रखी। एहतियात के तौर पर छोटे दस्ताने भी रख लिए। मैं विमान में हमेशा कुछ 'डूज़' और 'डोन्ट' का पालन करता हूं जैसे मास्क कभी नहीं उतारता और जब विमान में बाकी लोग खा रहे हों, तब कुछ नहीं खाता। इन्हीं मौकों पर वायरस सबसे तेजी से फैलता है।
याद रखें कि जिंदगी एक सड़क की तरह है। सड़क पर यह मायने नहीं रखता कि किसकी गलती थी, बल्कि मायने रखता है कि जिंदगी किसकी है। दोनों जवाबदारियां सिर्फ आपकी हैं- न किसी को चोट पहुंचाना और ना चोटिल होना। सड़क पर आपको यातायात की सीमाएं स्वीकारनी होंगी और आपको अपनी गति में सतर्कता रखनी होगी।
इसलिए जीवनरूपी सड़क पर, जहां सारे ट्राफिक 'जोखिम से बेपरवाह' होते हैं, आपको फर्क करते हुए लोगों की सीमाएं स्वीकारनी होंगी और फिर उसके हिसाब से अपनी चालें चलनी होंगी और कभी-कभी आपको यू-टर्न लेने की जरूरत है, जैसे कि मैंने कल किया। और याद रखें कि जब आप यू-टर्न लेंगे तो पूरी दुनिया आपके पीछे नहीं लग जाएगी। इसलिए उनके बारे में मत सोचिए। आपको जो ठीक लगे वो करिए, यह आपकी जिंदगी के लिए जरूरी है।
फंडा यह है कि जिस समय आप अपना 'यू-टर्न' लेते हैं, यह आपकी सुरक्षा-जीवन की गुणवत्ता के लिए गुप्त हथियार बन जाता है।
Next Story