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सम्पादकीय
जम्मू कश्मीर में अर्धसैनिक बलों के जवानों का एयर कूरियर सर्विस फिर बंद, पुलवामा हमले से पहले भी बंद हुआ था
Gulabi Jagat
8 April 2022 10:32 AM GMT
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14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था
Girish Malviya
14 फरवरी, 2019 को पुलवामा हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. CRPF 44 जवान शहीद हो गए थे. PULWAMA में यह हमला इसलिए संभव हो पाया था क्योंकि इस बेहद संवेदनशील इलाके से सीआरपीएफ के जवान बसों के जरिए ड्यूटी करने जा रहे थे. केंद्र सरकार ने उन्हें ड्यूटी स्थल तक जाने के लिए हवाई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई थी. पुलवामा में हुए हमले के बाद जवानों को "एयर कूरियर सर्विस" दी गई थी. जिसे 01 April 2022 से बंद कर दी गई है.
जी हां, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों से हवाई यात्रा सुविधा छीन ली गई है. उत्तर पूर्व के राज्यों और जम्मू कश्मीर के जोखिम भरे क्षेत्रों में जवानों को अब रेल या सड़क मार्ग के जरिए ही आवाजाही करनी होगी. सरकार द्वारा सभी बलों को भेजे गए संदेश में लिखा है कि एयर कूरियर सर्विस (सस्पेंशन) तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है. यह आदेश एक अप्रैल से लागू किया गया है. जबकि सरकार अच्छी तरह से जानती है कि जम्मू कश्मीर में लगभग तीन सौ किलोमीटर का क्षेत्र जोखिम भरा है. इन क्षेत्रों में आईईडी, हैंड ग्रेनेड, ड्रोन और आत्मघाती हमले का अंदेशा हमेशा बना रहता है.
सीएपीएफ की हवाई यात्रा बंद होने से अब दोबारा उसी तरह के काफिलों की शुरुआत हो सकती है. आतंकी जवानों के काफिले को आसानी निशाना बना सकते हैं. खर्चा भी बढ़ेगा. क्योंकि जवानों की सुरक्षा के मद्देनजर भारी संख्या में रोड ओपनिंग पार्टियां लगानी पड़ेंगी.
शायद आपको यह जानकारी नहीं होगी कि पुलवामा में हुए हमले से कुछ महीने पहले ऐसे ही जवानों की एयर कूरियर सेवा बंद की गई थी. कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के आने-जाने के लिए 1 जनवरी 2018 को दिल्ली-श्रीनगर हवाई सेवा शुरू की गई थी. लेकिन वित्तीय कारणों से इसे सिर्फ सात महीने चलाकर 31 जुलाई 2018 को बंद कर दिया गया. और फरवरी 19 में हमला हो गया.
इस हमले को बीजेपी ने 2019 में हुए आम चुनाव में खूब भुनाया. आपको याद होगा एक चुनावी रैली में मोदी ने कहा था कि 'मैं, मेरे फर्स्ट टाइम वोटर से कहना चाहता हूं कि क्या आपका पहला वोट पुलवामा में जो वीर शहीद हुए, उन वीर शहीदों के नाम समर्पित हो सकता है ?' ये भी याद रखिए कि पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के दौरान पूरे दिन जिम कार्बेट पार्क में मोदी जी नौका विहार कर रहे थे और फिल्म शूटिंग कर रहे थे.
लेकिन इतनी बड़ी सुरक्षा चूक को चुनाव में मुद्दा बनाया गया और पुलवामा के शहीदों की चिता के अंगारों से राख पर बीजेपी ने जमकर राजनीतिक रोटियां सेकी. जिसका पूरा फायदा चुनाव में उठाया गया.
एक बार फिर से वहीं हो रहा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अर्धसैनिक बलों के लिए 'एयर कूरियर सर्विस' ऐसे वक्त में बंद की गई है, जब घाटी के ऊंचे पहाड़ों पर बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है. ऐसे समय में आतंकवादी हमलों का खतरा चरम पर होता है और घाटी में पिछले कुछ दिनों में में कई आतंकी हमले भी हुए हैं.
हवाई यात्रा सेवा बंद कर देने से जवानों को एक जगह से दूसरी जगह मूव करने में ज्यादा समय लगेगा. इस दौरान जवानों का मानसिक तनाव बढ़ेगा. क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में कहीं पर सड़क खिसक जाएगी तो कहीं मुख्य मार्ग पर पहाड़ी का हिस्सा टूट कर आ जाएगा. बेमौसम बरसात व बर्फबारी के चलते जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग, जिसके कई दिनों तक बंद रहने की नौबत आ जाती है. आतंकी हमलों की चुनौती अलग से. उस हालत में 100 किलो मीटर या उससे भी अधिक दूरी तक जाने के दौरान काफिले पर कोई भी अनहोनी हो सकती है. क्योंकि आतंकी बर्फ पिघलने का ही इंतजार कर रहे हैं.
जो जवान देश की हिफाजत करते हैं तो सरकार का भी फर्ज बनता है कि उन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. लेकिन मोदी सरकार यहां भी विफल दिख रही है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.
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