दुनिया में एक जगह है, जिसे 'गेट्स ऑफ हेल' (Gates of Hell) यानी 'नरक का दरवाजा' कहा जाता है. ये जगह पहले सोवियत संघ में शामिल रहे तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में स्थित है. तुर्कमेनिस्तान (Turkmenistan) का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तान (Desert) है, जिसका नाम काराकुम है. काराकुम रेगिस्तान 3.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसके उत्तर में एक बहुत गड्ढा है, जिसे 'नर्क का दरवाजा' कहा जाता है.
बीबीसी से बात करते हुए कनाडाई एक्सप्लोरर जॉर्ज कोरोनिस ने कहा कि जब मैंने पहली बार इस जगह को देखा और यहां कदम रखा तो गर्म हवा सीधे मेरे चेहरे से टकराई. मुझे लगा मानो खुद शैतान हाथों में हथियार लेकर इस गड्ढे से निकला हो. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस गड्ढे की चौड़ाई 69 मीटर और गहराई 30 मीटर है. कई दशकों से ये आग से भरा गड्ढा इसी तरह धधक रहा है जिसके पीछे का कारण है इससे निकलने वाली मीथेन गैस है.
जॉर्ज कोरोनिस नेशनल जियोग्राफिक चैनल की टीम के सदस्य थे जो 2013 में तुर्कमेनिस्तान के इस गड्ढे के पास पहुंची थी. टीम यह पता लगाने गई थी कि आखिर ये आग कब से जल रही है. इसके पीछे एक बेहद प्रचलित कहानी है, जिसके मुताबिक 1971 में सोवियत संघ के भूवैज्ञानिक इस रेगिस्तान में कच्चे तेल के भंडार की खोज कर रहे थे.
वैज्ञानिक एक स्थान पर प्राकृतिक गैसों का भंडार मिला. खोज के दौरान जमीन नीचे धंस गई और तीन बड़े-बड़े गड्ढे बन गए. कहा जाता है कि वैज्ञानिकों को इन गड्ढों के निकलने वाली मीथेन के पर्यावरण में घुलने का डर था इसीलिए उन्होंने इनमें आग लगा दी ताकि कुछ ही हफ्तों में मीथेन खत्म हो जाए और आग बुझ जाए. हालांकि इस कहानी की पुष्टि करने के लिए किसी तरह के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं.
नहीं उपलब्ध कोई जानकारी