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जानिए दुनिया की सबसे बड़ी 'चोरी' की कहानी, 1000 वोल्‍वो कारों के कारण दो देशों के बीच आई थी दरार

Gulabi
3 April 2021 2:02 PM GMT
जानिए दुनिया की सबसे बड़ी चोरी की कहानी, 1000 वोल्‍वो कारों के कारण दो देशों के बीच आई थी दरार
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नॉर्थ कोरिया, दुनिया का वो देश जिससे आज शायद ही अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय कोई रिश्‍ता रखना चाहता हो.

नॉर्थ कोरिया, दुनिया का वो देश जिससे आज शायद ही अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय कोई रिश्‍ता रखना चाहता हो. पांच दशक पहले हुई एक घटना ने इस देश के रिश्‍ते यूरोप से काफी हद तक बिगाड़ दिए थे. यह किस्‍सा बड़ा ही दिलचस्‍प है और इसके बारे में शायद ही आपको पता हो. इस घटना की वजह से आज तक नॉर्थ कोरिया पर 'चोर' होने का आरोप तक लगा हुआ है. जानिए क्‍या है ये सारा मामला.


वॉल्‍वो से 1000 कारों की डील
बात सन् 1970 के शुरुआती समय की है जब नॉर्थ कोरिया, पश्चिमी देशों के साथ अपने आर्थिक संबंधों को बढ़ाने की कोशिशों में लगा हुआ था. सन् 1974 में स्‍वीडन की कार बनाने वाली कंपनी वोल्‍वो ने नॉर्थ कोरिया अपने 144 सेडान मॉडल की 1,000 कारें बेची थीं. कंपनी के स्‍वीडन स्थित प्रेस ऑफिस में वोल्‍वो हैरिटेज की देखरेख करने वाले एक अधिकारी की तरफ से कुछ साल पहले खुद एक इंटरव्‍यू में इस बात का खुलासा किया गया था. स्‍वीडन की सरकार की तरफ से नहीं बताया गया था कि इस डील में और क्‍या चीज थी जिसे शामिल किया गया था.

नॉर्थ कोरिया को भेजा जाता है रिमाइंडर
इन सभी कारों को स्‍वीडिश एक्‍सपोर्ट क्रेडिट एजेंसी या EKN की तरफ से इंश्‍योर्ड किया गया था. नॉर्थ कोरिया की तरफ से आज तक इन कारों के पैसे नहीं दिए गए हैं. स्‍वीडिश अधिकारी की तरफ से बताया गया, 'जब नॉर्थ कोरिया ने कारों की पेमेंट नहीं की तो ईकेएन बीच में आया था. इसका मतलब यह था कि वोल्‍वो कारों को आर्थिक रूप से नुकसान नहीं झेलना पड़ा था. इस डील को बाद में बंद कर दिया गया था.' आज भी EKN की तरफ से नॉर्थ कोरिया को पेमेंट के लिए याद दिलाया जाता है. लेकिन नॉर्थ कोरिया की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जाता है.

दूतावास ने ट्वीट की थी फोटो
नॉर्थ कोरिया में आज भी कई वोल्‍वो सर्विस में हैं. अक्‍टूबर 2016 में प्‍योंगयांग में स्‍वीडन के दूतावास की तरफ से एक ट्वीट भी किया गया था. इस ट्वीट में एक ऐसी ही वॉल्‍वो कार की फोटो को ट्वीट किया गया था. दूतावास ने लिखा था, '1974 की वोल्‍वो जिसकी पेमेंट अभी तक नहीं की गई है.' स्‍वीडन और नॉर्थ कोरिया के बीच पुराना रिश्‍ता था. स्‍वीडन यूरोप का पहला देश था जिसने नॉर्थ कोरिया के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए थे. सन् 1975 में स्‍वीडन पहला देश बना था जिसने प्‍योंगयांग में दूतावास खोला था.

राजनयिक कहते चोरी की गाड़ी में घूम रहे हम
एक बार अमेरिकी अखबार वॉल स्‍ट्रीट जनरल के जर्नलिस्‍ट अरबन लेहनर जब प्‍योंगयांग गए तो उन्‍हें वोल्‍वो की 144 सेडान में सवारी करने का मौका मिला था. 29 अगस्‍त 1989 को उनका एक आर्टिकल आया था जिसमें उन्‍होंने लिखा था कि राजनयिक नॉर्थ कोरिया में कहते थे कि वो चोरी की गाड़ी में घूमने को मजबूर हैं. साल 2016 तक 16 देशों को स्‍वीडन को 729 बिलियन डॉलर की रकम चुकानी थी जिसमें से 45 फीसदी हिस्‍सा नॉर्थ कोरिया का था
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