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मांगलिक कार्य के दौरान हिंदू धर्म में हाथों में कलावा बांधना बेहद उत्सुक बताया गया है।
पूजा पाठ के दौरान हिंदू धर्म में हाथों में कलावा जरूर बांधा जाता है। सूती का बना ये धागा गहरा लाल और पीले रंग का बना होता है। ये सूत का बना होता है इसीलिए इसका कलर भी जल्द उतर जाता है ऐसे में लोग बिना सोचे समझे उनको हाथों से उतार देते हैं। लेकिन हिंदू धर्म में कलावा बांधने और उतारने दोनों के ही कुछ नियम है। बिना इन नियमों के अलावा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। इसे अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं क्या है कलावा बांधने और उतारन के कुछ नियम।
जाने कलावा का महत्व और नियम
जिस तरह से कलावे का महत्व हिंदू धर्म में बताया गया है उसी तरह के केस को बांधना उतारने का नियम भी बताया गया है इन्हीं नियमों के हिसाब से कलावा बांधने और बदलना चाहिए।
टल जाते हैं संकट
मांगलिक कार्य के दौरान हिंदू धर्म में हाथों में कलावा बांधना बेहद उत्सुक बताया गया है। शास्त्रों के हिसाब से हाथ में कलावा बांधने के जीवन में आने वाली सारी दुआएं दूर हो जाती है। फिलहाल कलावा बांधने के बाद जल्द यह पुराना पड़ जाता है और इसका रंग भी फीका पड़ जाता है ऐसे में लोग इसे बदलने या उतारने में लग जाते हैं।
इन नियमों का पालन
हमेशा ही कलावा को पांच या तीन राउंड में घुमाकर हाथ में बांधा जाता हैं, तो वहीं कलावा उतारने के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन शुभ होता है। कलावा को आप विषम संख्या वाले दिन भी उतार सकते हैं। परिवार यह बात ध्यान रखें कि इन विषम संख्या वाले दिन में मंगलवार या शनिवार ना पड़ रहा हो।
महिलाओं और पुरुषों के लिए जरूरी यह नियम
हमेशा महिलाओं को अपने दाएं हाथ में कलावा बनवाना चाहिए तो वह शादीशुदा महिलाओं को कलावा बाएं हाथ में बनवाना चाहिए। तो वहीं पुरुषों को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए और कलावा बंधवाते समय हाथ में अक्षत रखना और मुट्ठी बंद करना बहुत जरूरी होता है।
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