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विदेश में पाए जा रहे नीले कुत्ते, भारत में भी हुई थी ऐसी घटना, पढ़ें क्या है पूरा माजरा

Gulabi
28 Sep 2021 1:01 PM GMT
विदेश में पाए जा रहे नीले कुत्ते, भारत में भी हुई थी ऐसी घटना, पढ़ें क्या है पूरा माजरा
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आपने कभी नीले या हरे रंग का कुत्ता देखा है क्या? बस होली के त्योहार को छोड़ दे तो

आपने कभी नीले या हरे रंग का कुत्ता देखा है क्या? बस होली के त्योहार को छोड़ दे तो. कुत्ता दुनिया का इकलौता ऐसी जीव है जिसे सबसे ज्यादा प्यार, गाली और तिरस्कार मिलता है. आपने कई रंगों, फरों, आकार, बाल और व्यवहार के लिए प्रसिद्ध कुत्ते तो आपने देखें होंगे. लेकिन रूस (Russia) के एक शहर में नीले और हरे रंग के कुत्ते देखने को मिल रहे हैं. ऐसा नहीं है कि उनका यही रंग था. वो पहले भूरे या किसी अन्य रंग के थे. लेकिन धीरे-धीरे उनका रंग नीला या हरा हो गया.ऐसी घटना 4 साल पहले भारत में भी घट चुकी है.

राजधानी मॉस्को से 370 किलोमीटर पूर्व दिशा में जेरजिंस्क (Dzerzhinsk) नाम का शहर है. सरकारी मीडिया संस्थान रिया नोवोस्ती ने रिपोर्ट की है कि यह नीला और हरा रंग कुत्तों के ऊपर नुकसानदेह रसायनों की वजह से चढ़ रहा है. ये कुत्ते एक खाली पड़े केमिकल प्लांट में मौजूद रसायनों की वजह से अपना रंग बदल रहे हैं. इस बात को लेकर कुत्तों और जानवरों के लिए काम करने वाली संस्थाएं भी अब आवाज उठा रही हैं.
द मॉस्को टाइम्स के अनुसार केमिकल प्लांट पहले प्लेक्सीग्लास (Plexiglass) और हाइड्रोसाइनिक एसिड (Hydrocyanic Acid) का उत्पादन करता था. जिसकी वजह से वहां के पानी में हाइड्रोजन सायनाइड (Hydrogen Cyanide) मिल गया है. यह एक बेहद जहरीला रसायन है, जो कई तरह के घातक पॉलीमर्स को आगे बढ़ाने का काम करता है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि कुत्तों के फर यानी उनके झबरीले बाल पर जिस रसायन की वजह से रंग बदला है वो कॉपर सल्फेट (Copper Sulphate) है. यह एक ऐसा अकार्बनिक रसायन है जिसकी वजह कुत्तों के फर का रंग बदल रहा है. इस रसायन का उपयोग कई तरह के औद्योगिक प्रक्रियाओं में होता है. हालांकि, वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं पता कर पाए हैं कि कुत्तों पर नीला रंग चढ़ने की सही वजह क्या है. लेकिन यह कुत्तों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है.
ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल कंपेनियन ऑफ एनिमल्स नाम की संस्था की वाइस प्रेसीडेंट केली ओमारा ने कहा कि यह एक खास तरह का डाई है जिसके सीधे संपर्क में आने की वजह से कुत्तों का रंग तो बदल ही रहा है. साथ ही उनके ऊपर जहरीला प्रभाव भी पड़ रहा है. इससे कुत्तों की त्वचा में जलन, खुजली और शरीर में अंदरूनी ब्लीडिंग हो रही है. जिससे कई कुत्तों की मौत भी हो चुकी है.

रिया नोवोस्ती के अनुसार इस केमिकल प्लांट को साल 2015 में बंद कर दिया गया था. क्योंकि यह दिवालिया घोषित हो गई थी. लेकिन कंपनी प्रबंधन ने प्लांट के चारों तरफ घेराबंदी कर दी है ताकि कुत्ते वहां तक न पहुंच सके. जेरजिंस्क के स्थानीय प्रशासन ने ऐसे सभी नीले और हरे रंग के कुत्तों को जानवरों के डॉक्टर के पास इलाज के लिए भेज रखा है. जानवरों की यह क्लीनिक जेरजिंस्क से करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित निज्नी नोवोग्रॉड में है.
केली ओ मारा ने कहा कि अभी तक रूस की सरकार की तरफ से अभी तक इन कुत्तों को लेकर किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया है. न ही केमिकल प्लांट पर किसी तरह की कार्यवाही की जा रही है. रूस में आवारा कुत्तों को लेकर भी किसी तरह की कल्याणकारी नीतियों को भी नहीं बनाया गया है. जबकि, इनकी आबादी रोकने के लिए क्रूरतापूर्ण तरीके अपनाए जाते हैं.
केली ने कहा कि कुत्तों की नसबंदी करने के तौर-तरीकों को रूस में बदलना होगा. आवारा कुत्तों को हादसों और अपराधों से बचाना जरूरी है. कुत्तों का नीले रंग में बदलना एक औद्योगिक हादसा और अपराध दोनों है. इसके लिए रूस की सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है. इस अपराध के लिए प्लांट के मैनेजर आंद्रे मिसलिवेट्स जिम्मेदार हैं. उनकी गैर-जिम्मेदाराना हरकत की वजह से कुछ साल पहले भी कुत्तों का रंग बदला था.
केली का मानना है कि यह इलाका बर्फीला है. यहां पर रसायन जल्दी खत्म नहीं होता. कुत्ते बर्फ में खेलते हैं. इसी खेलकूद के दौरान वो रसायनों से लिपटे बर्फ में गए होंगे, जिनकी वजह से उनका रंग नीला हो रहा है. अगर इसी तरह से चलता रहा तो इस इलाके के सारे कुत्तों का रंग नीला हो जाएगा. शहर के सभी आवारा कुत्तों के सेहत की जांच करानी चाहिए और प्लांट के बचे हुए रसायनों को साफ कराना होगा.
इससे पहले साल 2017 में भारत के मुंबई में नीले रंग के कुत्ते नजर आए थे. ये कुत्ते उस नदी में नहाकर निकले थे, जिनमें एक स्थानीय फैक्ट्री द्वारा क्लोराइड भारी मात्रा में फेंका जाता था. हालांकि, बाद में फैक्ट्री को बंद कर दिया गया था. यह घटना मुंबई तालोजा इंडस्ट्रियल इलाके में स्थित कसादी नदी की है. घटना अगस्त के महीने में दर्ज की गई थी.
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