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पतली घास जैसी है सूरज से निकलने वाली लपटों की संरचना, वैज्ञानिकों ने रहस्य से उठाया पर्दा

Renuka Sahu
11 March 2022 3:56 AM GMT
पतली घास जैसी है सूरज से निकलने वाली लपटों की संरचना,  वैज्ञानिकों ने रहस्य से उठाया पर्दा
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फाइल फोटो 

वैज्ञानिकों ने सूरज की सतह से लगातार निकलने वाली लपटों के विज्ञान का पता लगाया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैज्ञानिकों ने सूरज की सतह से लगातार निकलने वाली लपटों (प्लाज्मा जेट) के विज्ञान का पता लगाया है। भारत और इंग्लैंड के शोधकर्ताओं की एक टीम के मुताबिक, ये प्लाज्मा के जेट (लपटें) या स्पिक्यूल्स, पतली घास जैसी प्लाज्मा संरचनाओं के रूप में दिखाई देते हैं जो सतह से लगातार ऊपर उठते रहते हैं और गुरुत्वाकर्षण द्वारा नीचे आते हैं।

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान में खगोलविदों के नेतृत्व में भारत और इंग्लैंड के शोधकर्ताओं की टीम ने सूर्य के 'स्पिक्यूल्स' की उत्पत्ति की व्याख्या की है। टीम ने भारत से तीन सुपर कंप्यूटरों का इस्तेमाल किया, जिससे व्यापक समानांतर वैज्ञानिक कोड को चलाया जा सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के मुताबिक, जिन प्रक्रियाओं के जरिये सौर हवा को प्लाज्मा की आपूर्ति की जाती है और सौर वायुमंडल एक मिलियन डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है।
प्लाज्मा पदार्थ की चौथी अवस्था होती है, जिसमें विद्युत रूप से आवेशित कण मौजूद होते हैं और सूर्य के क्रोमोस्फीयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह के ठीक ऊपर की परत) में हर जगह रहते हैं। सूरज के वातावरण की तीन प्रमुख परतों में दूसरी क्रोमोस्फीयर होती है, जो कि तीन से पांच हजार किमी गहरी होती हैं। यह लाल रंग की दिखाई देती हैं।
ऑडियो स्पीकर के जरिये सुनी गई आवाज
स्पिक्यूल डायनेमिक्स के गणित को समझते समय टीम ने एक ऑडियो स्पीकर की मदद ली। इसके जरिये फिल्मों में सुनाई देने वाली गड़गड़ाहट की आवाज की तरह कम आवृत्तियों पर पैदा होने वाली विक्षोभ या उद्दीपन पर प्रतिक्रिया देते हैं। ऐसे स्पीकर पर जब कोई तरल पदार्थ रखा जाता है और संगीत चालू किया जाता है, तो तरल की मुक्त सतह अस्थिर हो जाती है और कंपन करना शुरू कर देती है। 'नेचर फिजिक्स' पत्रिका में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों ने सौर प्लाज्मा के अत्याधुनिक संख्यात्मक सिमुलेशन का उपयोग कर सूर्य पर चुंबकीय क्षेत्र की भूमिकाओं की जांच की। इसके समानांतर पॉलिमरिक समाधानों में फैराडे तरंगों पर धीमी गति की वीडियोग्राफी का उपयोग करके पोलिमर शृंखलाओं की भूमिका का भी पता लगाया गया।
उबलते हुए पानी की तरह लगता है प्लाज्मा
वैज्ञानिकों ने बताया कि सौर सतह (फोटोस्फीयर) के ठीक नीचे प्लाज्मा संवहन की स्थिति में होता है और निचली सतह पर उबलते हुए गर्म पानी की तरह लगता है। यह गर्म-घने कोर में परमाणु ऊर्जा द्वारा संचालित होता है। यह संवहन नियत समय के लिए होता है, लेकिन यह सौर क्रोमोस्फीयर में प्लाज्मा को मजबूती से आगे करता है। फोटोस्फीयर में प्लाज्मा की तुलना में क्रोमोस्फीयर 500 गुना हल्का होता है। इसलिए तल से उठने वाले ये मजबूत झटके पतले कॉलम (स्पिक्यूल्स) के रूप में अल्ट्रासोनिक गति से क्रोमोस्फेरिक प्लाज्मा को बाहर की ओर फेंकते हैं।


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