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देश के अगले राष्ट्रपति का चेहरा पांच राज्यों के परिणाम तय करेंगे, दिलचस्प होगा जुलाई का चुनाव
Renuka Sahu
10 March 2022 6:28 AM GMT
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फाइल फोटो
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में मतों की गिनती शुरू हो गई है। शुरुआती रुझान उम्मीदों के अनुरूप ही सामने आ रहे हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में मतों की गिनती शुरू हो गई है। शुरुआती रुझान उम्मीदों के अनुरूप ही सामने आ रहे हैं। यूपी में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं, उत्तराखंड और गोवा में मुकाबला कांटे का बना हुआ है। पंजाब में आम आदमी पार्टी तो मणिपुर में भाजपा आगे दिख रही है।राष्ट्रपति चुनाव, पांच राज्यों के चुनाव परिणाम, विधानसभा चुनाव परिणाम 2022, presidential election, five states election result, assembly election result 2022,
शाम होते-होते नतीजों में स्थिरता आएगी और सही तस्वीर सामने आएगी। इतना तो स्पष्ट है कि इन पांच राज्यों की 690 विधानसभा सीटों (उत्तर प्रदेश:403; पंजाब:117; उत्तराखंड:70; मणिपुर: 60 और गोवा:40) से न केवल राज्यसभा की संरचना बदलेगी, बल्कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों का इलेक्टोरल कॉलेज भी प्रभावित होने वाला है। राष्ट्रपति चुनावों से पहले इन राज्यों की 19 राज्यसभा सीटें खाली होने वाली हैं, जो यूपी, उत्तराखंड और पंजाब में हैं और इन सीटों का फैसला नए विधायक ही करेंगे।
राज्यसभा पर क्या असर होगा?
इस साल राज्यसभा की 75 सीटें खाली होने वाली हैं। इनमें से 73 को राष्ट्रपति चुनावों से पहले भरा जाएगा। ज्यादातर सदस्य अप्रैल में रिटायर होंगे। इनके चुनाव जून और जुलाई में हो जाएंगे। सात नॉमिनेटेड सदस्यों को छोड़ दें तो इन 73 में से 66 सांसद राष्ट्रपति चुनावों में वोट डालेंगे। इनमें 19 सीटें तीन चुनावी राज्यों से है। यूपी से 11, पंजाब से 7 और उत्तराखंड से 1 सीट है। यूपी में खाली हो रही 11 राज्यसभा सीटों में से 5 भाजपा के पास है। 2017 के चुनावों जैसी सफलता नहीं मिली तो भाजपा को अपनी सीटें सुरक्षित रखना मुश्किल हो जाएगा। अन्य 54 राज्यसभा सीटें महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, झारखंड, केरल, कर्नाटक, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए यूपी अहम क्यों?
दोनों सदनों के 776 सांसद और राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों के 4,120 विधायक मिलकर राष्ट्रपति चुनते हैं। इलेक्टोरल कॉलेज 10,98,903 वोट्स का है। राष्ट्रपति बनने के लिए 5,49,452 वैल्यू वोट्स चाहिए होते हैं। उत्तर प्रदेश के हर विधायक के वोट की वैल्यू 208 है, जो देश में सबसे अधिक है। यानी यूपी के विधायकों के वोट की कुल वैल्यू 83,824 है। यह वैल्यू आबादी के अनुपात में तय होती है। इसके बाद महाराष्ट्र (50,400) और पश्चिम बंगाल (44,394) का नंबर आता है। इस वजह से यूपी के विधायक राष्ट्रपति चुनावों में भी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
क्या भाजपा का उम्मीदवार राष्ट्रपति बन जाएगा?
आसान नहीं रहने वाला। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा के पक्ष में 2017 की तरह नतीजे रहते हैं तो उसके पास निर्णायक इलेक्टोरल कॉलेज हो सकता है। 2017 में एनडीए के पास अच्छी बढ़त थी क्योंकि भाजपा और उसके गठबंधन ने यूपी में 403 में से 325 और उत्तराखंड में 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की थी। लोकसभा में भाजपा के सांसदों की संख्या अच्छी-खासी है, ऐसे में उसे अच्छी बढ़त मिल गई थी। 2017 में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी भाजपा के पास थे। इस वजह से भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत आसान रही थी। इस बार ऐसा नहीं है।
फिर कौन बन सकता है राष्ट्रपति?
पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकारें हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस के विधायक करीब-करीब बराबर ही है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं। अगर कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियां मिलकर किसी संयुक्त उम्मीदवार को सामने लाती है तो उसकी जीत की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। एचडी देवीगौड़ा से शरद पवार तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं।
राष्ट्रपति चुनावों के लिए क्षेत्रीय पार्टियों के मुख्यमंत्रियों की लामबंदी भी शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी तृणमूल कांग्रेस को पूरे देश में फैलाना चाहती है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यूं तो महत्वपूर्ण कानूनों पर केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन करते रहे हैं, पर उन्हें भी राज्य में तेजी से बढ़ने के ख्वाब देख रही भाजपा का खतरा तो है ही। राव ने भी पिछले दिनों शिवसेना चीफ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। केसीआर की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के अलावा ममता से भी मीटिंग फिक्स है। एचडी देवीगौड़ा को राव का सपोर्ट मिल सकता है।
महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में 200 से अधिक लोकसभा सीटें हैं। साथ ही अगले राष्ट्रपति चुनावों के इलेक्टोरल कॉलेज की आधी वैल्यू इन्हीं राज्यों से है। एनसीपी चीफ शदर पवार भी तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्रसमिति, वायएसआर सीपी, माकपा और भाकपा समेत अन्य पार्टियों का समर्थन जुटा सकते हैं। इससे भाजपा की राह और मुश्किल हो जाएगी।
यदि क्षेत्रीय पार्टियां एकजुट होती है तो भाजपा को अपनी पसंद का राष्ट्रपति नहीं मिल सकेगा। इस वजह से यूपी समेत पांच राज्यों के नतीजों का बहुत अधिक असर राष्ट्रपति चुनावों और देश की राजनीति पर रहने वाला है।
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