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नॉएडा पुलिस को जुमे की नमाज के बाद मिला नया मिशन, नाम हैं मिशन अग्निपथ
दिल्ली एनसीआर नॉएडा न्यूज़: दिल्ली से सटे नोएडा में अभी तक नोएडा पुलिस कमिश्नरेट अपराध को कंट्रोल करने के साथ-साथ जुमे की नमाज को सकुशल सम्पन्न कराने में जुटी थी। लेकिन अब इनके कंधों पर नई जिम्मेदारी आ गई है जिसका नाम है. अग्निपथ-अग्निपथ-अग्निपथ। ये किसी फिल्म का नाम नहीं है। ये केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना है, जिसका इन दिनों युवा विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार को अग्निपथ योजना के विरोध में जेवर स्थित यमुना एक्सप्रेसवे पर युवाओं ने जाम लगा दिया था। जिसके बाद नोएडा पुलिस के हाथ पैर फूल गए। जिसके बाद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ दिया। इसके बाद मौके पर पहुंचे जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह और जाइंट सीपी लव कुमार ने युवाओं को समझा-बुझाकर उन्हें घर भेज दिया।
नोएडा पुलिस कमिश्नरेट के कंधों पर लगातार जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता जा रहा है। अभी तक जुमे की नमाज को लेकर पुलिस अलर्ट मोड पर थी। अब अग्निपथ योजना को लेकर एक नई जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। पुलिस अधिकारी अब अग्निपथ योजना को लेकर रणनीति बनाने में जुट गए हंै। एक अधिकारी ने बताया कि अग्निपथ योजना को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। संभ्रात लोगों और युवाओं को योजना के बारे में सही तरीके से जानकारी दी जाएगी। जिससे की युवा इस योजना को लेकर किसी के बहकावे नहीं आए। तीनों जोन के पुलिस अधिकारियों ने इसे लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी है। सभी एसीपी और थाना प्रभारियों को भी अग्निपथ योजना को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने का आदेश दिया गया है।
बीट कांस्टेबल और चौकी प्रभारियों की रहेगी अहम भूमिका: अग्निपथ योजना को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जागरूकता अभियान सफल बनाने के लिए बीट कांस्टेबल और पुलिस चौकी प्रभारी की अहम भूमिका रहेगी। जिसके चलते बीट कांस्टेबल और पुलिस चौकी प्रभारी पर काम का बोझ बढ़ जाएगा। फिलहाल अधिकारियों के जारूकता आदेश के बाद से बीट कांस्टेबल और चौकी प्रभारियों की नींद उड़ी हुई है।
पुलिसकर्मियों पर बढ़ रहा है जिम्मेदारियों का बोझ, छुट्टी को लेकर अफसर खामोश: कुछ पुलिसकर्मियों का कहना है कि रोज एक नई जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ जाती है। अभी तक जुमे की नमाज को लेकर वे मुस्तैद थे। अब अग्निपथ योजना को लेकर भी उन्हें मुस्तैद रहना पड़ेगा। पुलिसकर्मियों का कहना है कि जिम्मेदारियों का बोझ उठाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं, लेकिन अफसरों को उनकी छुट्टी के बारे में भी सोचना चाहिए। जब भी अफसरों के पास छुट्टी मांगने जाते हैं तो अफसर कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देते हैं।