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नेशनल हेराल्ड केस, सोनिया गांधी ने पूछताछ के लिए ED से तीन हफ्ते का समय मांगा

Khushboo Dhruw
8 Jun 2022 2:33 PM GMT
नेशनल हेराल्ड केस, सोनिया गांधी ने पूछताछ के लिए ED से तीन हफ्ते का समय मांगा
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नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ईडी के सामने पेश होने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है. उनकी इस मांग को केंद्रीय जांच एजेंसी ने मान लिया है और अब उनसे पूछताछ के लिए एजेंसी नए समन जारी करेगी. ईडी ने सोनिया गांधी को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया था

प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नोटिस भेजा था. इसमें सोनिया गांधी को 8 जून को एजेंसी के सामने पेश होना था और राहुल गांधी को 13 जून को पूछताछ होनी थी. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया था कि सोनिया गांधी आठ जून को पूछताछ में शामिल होंगी और अगर राहुल विदेश से वापस आ गए तो वो भी शामिल होंगे अन्यथा ईडी से और समय मांगा जाएगा.
जानकारों के मुताबिक, अगर सोनिया और राहुल ईडी के सामने पेश नहीं होना चाहते तो उनके सामने दो ऑप्शन हैं. पहला वे नोटिस का जवाब दिए बिना छोड़ सकते हैं. इस स्थति में ईडी उनको दोबारा नोटिस भेजेगी. वहीं दूसरा ऑप्शन यह है कि वे इस नोटिस को कोर्ट के सामने चैलेंज करें.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रणदीप सुरजेवाला ने ईडी को घेरते हुए उसे प्रधानमंत्री की पालतू एजेंसी बताया था. सुरजेवाला ने कहा था कि मोदी सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है. उन्होंने ईडी के नोटिस को नई कायराना हरकत बताया. सुरजेवाला ने कहा कि नेशनल हेराल्ड 1942 का अखबार था. उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने इसको दबाने का काम किया था. अब मोदी सरकार ईडी का इस्तेमाल करके ऐसा कर रही है.
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने साल 1937 में स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी, एसोशिएटेड ज़र्नल्स लिमिटेड को लगभग 10 साल वक्त में, लगभग 100 किश्तों में चेक द्वारा अपनी देनदारी के भुगतान के लिए 90 करोड़ रु. की राशि दी. इसमें से 67 करोड़ का इस्तेमाल नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों की बकाया सैलरी देने में किया. बाकी पैसा बिजली भुगतान, किराया, भवन आदि पर खर्च किया गया.
2. नेशनल हेराल्ड अखबार आय के अभाव में कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं था, इसलिए इसकी एवज़ में असोशिएटेड ज़र्नल्स लिमिटेड के शेयर ''यंग इंडिया'' को दे दिए गए थे. जो कि कानून में एक ''नॉट फॉर प्रॉफ़िट'' कंपनी है. मतलब यंग इंडिया की मैनेजिंग कमिटी के सदस्य (सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती लाल वोहरा) थे. ये लोग किसी प्रकार का मुनाफ़ा, डिवीडेंड, तनख़्वाह या कोई वित्तीय फ़ायदा इससे नहीं ले सकते थे. साथ ही मैनेजिंग कमिटी यंग इंडिया के शेयर को भी नहीं बेच सकती.
इसका मतलब, यंग इंडिया से एक पैसे का न वित्तीय लाभ लिया जा सकता और न ही इसके शेयर को बेचा जा सकता. कांग्रेस ने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि पार्टी नेशनल हेराल्ड, एसोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और यंग इंडिया को केवल कांग्रेस पार्टी नहीं, बल्कि देश की धरोहर मानते हैं.
3. साल 2013-14 में सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा नेशनल हेराल्ड को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा कर्ज देने को लेकर एक प्राईवेट कंप्लेंट अदालत में दायर की, जो आज भी विचाराधीन है. कांग्रेस का कहना है कि याचिका को लेकर झूठ बोला गया. कांग्रेस के मुताबिक, कोर्ट में कुछ नहीं होने पर अब साढ़े सात साल के बाद ED द्वारा उस प्राईवेट कंप्लेंट के आधार पर केस दर्ज किये गए हैं.
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