दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, मंकीपॉक्स की आशंका को देखते हुए संक्रमितों के लिए जिम्स में बना अलग वार्ड

Renuka Sahu
26 July 2022 2:30 AM GMT
Health department alert in Delhi, in view of the fear of monkeypox, a separate ward made in gyms for the infected
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फाइल फोटो 

मंकीपॉक्स की आशंका को देखते हुए ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंकीपॉक्स की आशंका को देखते हुए ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) ने 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने कंट्रोल रूम स्थापित कर विशेषज्ञों की टीम बनाई है जिनका काम संदिग्ध मरीज मिलने की स्थिति में नमूनों लेकर जांच के लिए भेजना होगा। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने सभी डॉक्टर और अस्पतालों को अलर्ट कर संदिग्ध मरीज मिलने की स्थिति में जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।

दिल्ली में रविवार को मंकीपॉक्स का एक मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। दिल्ली और नोएडा से प्रतिदिन 10 लाख से ज्यादा लोगों का आना-जाना है। लिहाजा दिल्ली में मरीज मिलने के बाद नोएडा मंकीपॉक्स के लिए संवेदनशील शहरों में शुमार हो गया है। इसके चलते सेक्टर-39 में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।
लोगों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी
लोग कंट्रोल रूम के प्रभारी डॉ. जीके मिश्रा के मोबाइल नंबर 9675322617 व मलेरिया इंस्पेक्टर दिनेश गोंड के 9899965203 नंबर पर कॉल कर मंकीपॉक्स से संबंधित जानकारी ले सकते हैं। अधिकारियों का कहना है कि संदिग्ध मरीजों के बारे में भी दोनों नंबरों पर जानकारी साझा की जा सकती है, ताकि संदिग्ध मरीज के नमूने जांच के लिए भेजे जा सकें।
पैरामेडिकल स्टाफ को सतर्क रहने के निर्देश
जिम्स ने त्वचा रोग विभाग के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ को अलर्ट रहने के लिए कहा है। जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि मंकीपॉक्स कोरोना की तरह घातक नहीं है। घबराने की जरूरत नहीं है। मरीज को आइसोलेशन में रखा जाता है। इससे संक्रमित मरीज में शरीर पर लाल दाने, बुखार, सिरदर्द, थकान की समस्या होती है। संक्रमण से बचने के लिए पीड़ित से दूरी बनाने और उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए सामान का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जिम्स के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि चिकनपॉक्स की तरह ही यह संक्रमण है। इस बीमारी के मरीज तीन से चार सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। यह संक्रमण आंख, नाक और मुंह के जरिये फैलता है। ऐसे में मास्क का इस्तेमाल करें। चीजों को छूने से बचें। साफ-सफाई पर ध्यान रखें। उन्होंने बताया कि अस्पताल के त्वचा रोग विभाग को अलर्ट कर दिया गया है। यदि कोई भी व्यक्ति संदिग्ध लगता है तो तुरंत इसकी जानकारी देना के लिए कहा गया है।
नमूने लेने की किट सहित अन्य सुविधाएं
सीएमओ डॉ. सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि संदिग्ध मरीजों के नमूने लेने सहित अन्य सुविधाएं हैं। मंकी पॉक्स को लेकर लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि एहतियात बरतें। कंट्रोल रूम बना दिया गया है। संदिग्ध मरीज का पता चलने पर टीम जाकर नमूने लेकर जांच के लिए भेजेगी। भविष्य में सेक्टर-39 में भी नमूने लेने की व्यवस्था होगी।
अनुमति के बाद बाल चिकित्सालय में भी जांच
संदिग्धों की जांच के लिए बाल चिकित्सालय में आधुनिक मशीनें हैं। उससे संबंधित जांच किट की जरूरत है। वर्तमान में जांच के लिए किट सहित अन्य सुविधाएं केंद्र सरकार दे रही है। अस्पताल के माइक्रोबॉयलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. सुमी नंदवानी ने बताया कि मंकीपॉक्स की जांच से संबंधित मशीनें हैं। सरकार से अनुमति मिलने पर बीमारी की जांच यहां संभव है।
हेल्पलाइन नंबर
जिले के लोग 9675322617 और 9899965203 नंबर पर कॉल कर मंकीपॉक्स से संबंधित जानकारी ले सकते हैं।
ये एहतियात बरतें
मास्क का इस्तेमाल करें।
स्वच्छता का ध्यान रखें, बार-बार हाथ धोएं।
अस्पताल सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी चीज को छूने से बचें।
संदिग्ध मरीजों होने की स्थिति में आइसोलेट रखें।
भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
संदिग्ध मरीजों के चादर आदि कपड़ों का उपयोग न करें।
सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


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