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- पीड़िता भी वापस नहीं ले...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बृजभूषण शरण सिंह के मामले में यह कहा जा रहा है कि नाबालिग महिला खिलाड़ी ने अपना केस वापस ले लिया है। उसने अपना बयान बदल लिया है और अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने नए बयान में उसने कहा है कि उसने दबाव में बृजभूषण शरण सिंह पर दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोप लगा दिए थे। दावा किया जा रहा है कि इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह पर दर्ज पॉक्सो का मामला खारिज हो जाएगा। साक्षी मलिक ने इसे अफवाह बताते हुए इस समाचार का खंडन कर दिया है।
लेकिन इसके बाद भी, कानून के जानकारों का मानना है कि पॉक्सो के मामले में पीड़ित को भी केस वापस लेने का अधिकार नहीं है। यानी यदि नाबालिग महिला खिलाड़ी अपना बयान बदलती भी है, तो भी बृजभूषण शरण सिंह को राहत नहीं मिलने वाली है।
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने अमर उजाला को बताया कि पॉक्सो कानून में एक बार मामला दर्ज हो जाने के बाद पीड़ित को भी केस वापस लेने का अधिकार नहीं है। लेकिन पीड़ित चाहे तो अदालत के सामने अपना ब्यान बदल सकती है। लेकिन यह बदला बयान भी पीड़ित या पुलिस को एफआईआर रद्द करने का अधिकार नहीं देता।
इस बदले बयान के आधार पर अन्य विवेचना के साथ पुलिस अदालत में मामले को बंद करने की रिपोर्ट (Closer Report) दाखिल कर सकती है, लेकिन यह अंतिम रूप से अदालत के ऊपर निर्भर करता है कि वह इस रिपोर्ट को स्वीकार करे, या पुलिस को मामले की विस्तृत विवेचना करने और ट्रायल चलाने का आदेश दे।
हालांकि, पीड़ित के बदले हुए बयान के आधार पर आरोपी व्यक्ति उच्च न्यायलय में यह अपील कर सकता है कि इस मामले को बंद कर दिया जाए। लेकिन उच्च न्यायालय में भी यह पूरी तरह कोर्ट के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है कि वह इसे स्वीकार करे, या न करे।
इसी तरह का एक मामला 2022 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के सामने आया था। दो नाबालिग लड़कियों के पिता ने आरोप लगाया था कि दो युवकों ने उनकी बेटियों के साथ दुष्कर्म किया था। मामले के अदालत में चलने के दौरान एक आरोपी ने उक्त लड़की के साथ विवाह कर लिया था। इसी आधार पर उसने अदालत से यह गुहार लगाई थी कि चूंकि उसने पीड़ित से विवाह कर लिया है, लिहाजा अब उसके विरुद्ध यह मामला रद्द कर दिया जाए।
लेकिन कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कठोर टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यदि पॉक्सो के मामलों में भी इस तरह से समझौते होने लगे तो पॉक्सो का क्या अर्थ रह जाएगा। पॉक्सो कानून नाबालिग बच्चों को किसी भी तरह के दुष्कर्म से बचाने की कोशिश है, और बच्चों का यह अधिकार हर हाल में सुरक्षित रहना चाहिए।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि दुष्कर्म के किसी मामले में भी आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता नहीं हो सकता। अदालतों ने कई बार इस तरह के निर्णय दिए हैं, जिससे यह साबित होता है कि इस तरह के अपराध में आरोपी और पीड़ित के बीच समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता। कुछ मामलों में अदालतें कुछ राहत प्रदान कर देती हैं, लेकिन इस तरह के मामले अकसर परस्पर सहमति से बने शारीरिक संबंधों के मामले में होते हैं।