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दिल्ली की सड़कों की होगी 24 घंटे निगरानी, लगाए जाएँगे 56 हजार नाइट विजन बुलेट कैमरे
दिल्ली न्यूज़: राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों की निगरानी के लिए दिल्ली सरकार करीब 56 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाएगी। इससे पीडब्ल्यूडी के तहत आने वाली 1400 किमी सड़कों की टूट-फूट, गड्ढ़ों व जलभराव जैसी समस्या को समय से दूर करने में मदद मिलेगी। ऐसे में सभी नाइट विजन बुलेट सीसीटीवी कैमरे होंगे। इन कैमरों पर हवाओं के थपेड़ों और बारिश का कोई असर नहीं होगा और अंधेरे में भी तस्वीर आसानी से कैप्चर हो सकेगी। इन कैमरों को लगाने और सात साल तक रखरखाव पर करीब 200 करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है। 1400 किमी रोड के दोनों ओर 100-100 मीटर की दूरी पर 2-2 सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे रोड सेफ्टी के साथ सड़कों के नियमित रखरखाव को लेकर मदद मिलेगी। सड़कों पर मलबा फेंकने वालों पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। इन कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया जाएगा। कैमरों को लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है।
क्या है बुलेट कैमरा: यह कैमरा टयूब की तरह होता है। इसमें सिल्वर या एल्युमिनियम शेप के कवर में लेंस होते हैं, जिससे रिकॉर्डिंग यूनिट जुड़ा रहता है। बाहर की उच्च रेजॉल्यूशन रिकॉर्डिंग के लिए बेहतर होते हैं।
4 मेगा पिस्कल के होंगे कैमरे: नाइट विजन बुलेट कैमरे 4 मेगा पिस्कल के होंगे। इससे 50 मीटर दूर की तस्वीर भी आसानी से जूम कर देखी जा सकती है और जूम करने के दौरान तस्वीर फटने की गुंजाइश नहीं रहती। कैमरों में चौबीसों घंटे रिकॉर्डिंग और सेव करने की सुविधा होगी। जरूरत पड़ने पर कभी भी पुराने फुटेज देखे जा सकते हैं। इससे सड़कों की नियमित रखरखाव में जवाबदेही तय करने में मदद मिलेगी।
कैमरे में खराबी होते ही मिलेगी सूचना: कैमरों के रखरखाव की जिम्मेदारी इसे लगाने वाली कंपनी को दी जाएगी। किसी भी कैमरे में खराबी आने पर स्थानीय इंचॉर्ज, मेंटिनेंस कंपनी व लोक निर्माण विभाग के मुख्यालय में स्थापित होने वाले कंट्रोल रूम को चंद मिनटों में जानकारी मिल जाएगी। वहीं, बिजली की आपूर्ति बाधित होने पर भी एक घंटे तक कैमरे काम करते रहेंगे।
आपराधिक मामलों को भी सुलझाने में मिलेगी मदद: बुलेट कैमरे अपने आसपास के दायरे में घटने वाली घटनाओं को कैप्चर करेंगे। इससे आपराधिक मामलों को सुलझाने में सुरक्षा एजेंसियों को भी मदद मिलेगी। बता दें कि अभी लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर कैमरे नहीं लगाए गए हैं।