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श्रमिक कल्याण बोर्ड को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस,बेटी की शादी के 5 साल बाद भी कंस्ट्रक्शन वर्कर को नहीं मिली आर्थिक मदद
Apurva Srivastav
28 May 2022 2:24 PM GMT
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दिल्ली (Delhi) हाई कोर्ट ने साल 2017 में बेटी की शादी के लिए आर्थिक सहायता के लिए आवेदन करने वाले एक मजदूर (Construction Worker) की याचिका पर दिल्ली भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (DBOCWWB) को नोटिस जारी किया है. मजूदर को अपनी बेटी की शादी के पांच साल बाद भी उसके आवेदन के निपटारे का इंतजार है. मजदूर बनवारी लाल ने याचिका में आरोप लगाया है कि अब बोर्ड के अधिकारी उनकी अर्जी के निपटारे के लिए बेटी की शादी का प्रमाणपत्र मांग रहे हैं, जो बोर्ड के खुद के बनाए नियमों का उल्लंघन है. याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस यशवान वर्मा ने बोर्ड और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. हाई कोर्ट में इस मामले पर अब 5 सितंबर को सुनवाई होगी
याचिकाकर्ता के वकील चिरायु जैन ने कहा कि बोर्ड दिल्ली निर्माण और अन्य निर्माण श्रमिक नियम 2002 के नियम 282 के तहत परिवार के सदस्यों के विवाह के लिए निर्माण श्रमिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. याचिकाकर्ता ने साल 20017 में अपनी बेटी की शादी के लिए वित्तीय सहायता के लिए आवेदन किया था.
शादी का प्रमाणपत्र मांगना, नियमों का उल्लंघन- वकील
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि बोर्ड के अधिकारियों ने पांच साल बीत जाने के बाद भी याचिकाकर्ता के आवेदन पर कोई फैसला नहीं लिया है. अब वह याचिकाकर्ता की बेटी की शादी का प्रमाणपत्र मांग रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है.वकील ने कोर्ट को बताया कि भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) अधिनियम और दिल्ली बीओसीडब्ल्यू नियमों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि विवाह प्रमाण पत्र के अभाव में आवेदन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती.
याचिकाकर्ता के वकील चिरायु जैन ने कहा कि बोर्ड दिल्ली निर्माण और अन्य निर्माण श्रमिक नियम 2002 के नियम 282 के तहत परिवार के सदस्यों के विवाह के लिए निर्माण श्रमिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है. याचिकाकर्ता ने साल 20017 में अपनी बेटी की शादी के लिए वित्तीय सहायता के लिए आवेदन किया था.
शादी का प्रमाणपत्र मांगना, नियमों का उल्लंघन- वकील
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि बोर्ड के अधिकारियों ने पांच साल बीत जाने के बाद भी याचिकाकर्ता के आवेदन पर कोई फैसला नहीं लिया है. अब वह याचिकाकर्ता की बेटी की शादी का प्रमाणपत्र मांग रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है.वकील ने कोर्ट को बताया कि भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) अधिनियम और दिल्ली बीओसीडब्ल्यू नियमों में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि विवाह प्रमाण पत्र के अभाव में आवेदन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती.
मजदूर ने जमा किए थे शादी का कार्ड और तस्वीरें
याचिका में कहा गया है कि मजदूर बनवारी लाल ने 26 अक्टूबर 2021 को शादी के प्रमाण के तौर पर शादी के कार्ड और फोटो सहित सभी दस्तावेज दाखिल किए. वकील ने तर्क दिया कि अब बोर्ड के अधिकारी बेटी के विवाह प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं, जो बोर्ड के अपने नियम का उल्लंघन है. जबकि नियमों में प्रावधान है कि अधिकारी आवेदन के निपटान के लिए विवाह प्रमाण पत्र पर जोर नहीं देगा.
Apurva Srivastav
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