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फरीदाबाद न्यूज़: फरीदाबाद जिले में केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण की चारों ऐतिहासिक धरोहर जर्जर अवस्था में हैं. इनके जीर्णोद्धार की कोई योजना विभाग ने तैयार नहीं की है. इनमें दसवीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरजपाल द्वारा बनाया गया सूरजकुंड और अनंगपुर डैम, मुगलशासन काल में बनीं कोस मीनारें और कलाकृति का खूबसूरत नमूना बुढिया नाला पुल जर्जर हो चुके हैं. इन चारों ऐतिहासिक धरोहरों का अस्तित्व खतरे में है. मुगलकालीन राजमार्ग पर दूरी बताने और सुरक्षा के लिए तैयार की गई कोस मीनारें अनदेखी के चलते जर्जर हालत में है.
अरावली पर्वत शृंखलाओं के बीच दसवीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरजपाल द्वारा बनाया गया सूरजकुंड अब पूरी तरह से सूख गया है. इसकी दीवारें अब टूट रही हैं. यहां हर साल मेले का आयोजन करके सरकार करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त करती है, लेकिन जीर्णोद्धार नहीं किया
बुढ़िया नाले का पुल खस्ताहाल: मुगलकाल में कोलकाता से पेशावर तक बनाए गए शेरशाह सूरी मार्ग पर सराय ख्वाजा के पास बुढिया नाले के ऊपर बनाया गया पुल कलाकृति का नायब नमूना है. यह मुगल ओवर ब्रिज या बुढ़िया नाला से जाना जाता है. पुल का साइज 10 से 12 मीटर का है. इस पुल पर पुरातत्व विभाग का अधिकार है. इस धरोहर को बचाने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया.
जर्जर हो रहीं कोस मीनार: जिले में पुरातत्व विभाग के तहत चार ऐतिहासिक धरोहर सूरजकुंड, अनंगपुर बांध, बुढिया नाला पुल और कोस मीनारें हैं. तीन कोस मीनार तो गायब हो चुकी हैं. -दीपांशु वशिष्ठ, सहायक संरक्षक, केंद्रीय पुरातत्व विभाग
मुगलकाल में 1575 ईसवीं में मुख्य मार्गों के किनारे दूरी बताने वाली कोस मीनारों का निर्माण करवाया गया था. फरीदाबाद-पलवल में करीब 16 कोस मीनार में से करीब तीन गायब हो चुकी हैं. बाकी जर्जर हालत में हैं.