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SEBI निवेश सलाहकार अपने ग्राहकों को सिर्फ सलाह दे सकते हैं, फंड मैनेज करना नहीं है उनका अधिकार

Neha Dani
3 July 2021 5:27 AM GMT
SEBI निवेश सलाहकार अपने ग्राहकों को सिर्फ सलाह दे सकते हैं, फंड मैनेज करना नहीं है उनका अधिकार
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अलग-अलग केसेस में नियमों में बदलाव संभव है.

मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने निवेश सलाहकारों (Investment Adviser) को हिदायत देते हुए कहा कि वे अपने ग्राहकों को सिर्फ सलाह दे सकते हैं. उनके फंड या शेयर्स में निवेश को मैनेज नहीं कर सकते हैं. इसका अधिकार उनके पास नहीं है, ऐसे में अपने ग्राहकों से पावर ऑफ अटॉर्नी मांगना सही नही है. ये बात सेबी ने वॉटरफील्ड फाइनेंशियल एंड इनवेस्टमेंट एडवाइजर फर्म की ओर से पूछ गए सवाल के जवाब के तौर पर कही.

सेबी का कहना है कि निवेश सलाहकारों का काम सिर्फ अपने ग्राहकों को निवेश के बारे में सलाह देना है, उनकी तरफ से निवेश करना नहीं. हालांकि इसके साथ ही सेबी ने अपने स्पष्टीकरण में यह भी कहा है कि उसका यह जवाब सवाल के साथ दी गई जानकारी पर आधारित है और अलग तथ्यों या परिस्थितियों में नियमों की व्याख्या अलग तरह से भी की जा सकती है.
सेबी ने यह भी कहा कि आईए नियमों के तहत एक निवेश सलाहकार को दी जाने वाली गतिविधियों के दायरे को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए. "पीओए देने की न तो परिकल्पना की गई है और न ही आईए के लिए वांछनीय प्रतीत होता है." सेबी ने कहा कि यह स्थिति दी गई जानकारी पर आधारित है. यह पत्र संदर्भित प्रश्न पर बोर्ड के निर्णय को व्यक्त नहीं करता है."

एडवाइजर फर्म ने मांगी थी सलाह
वॉटरफील्ड फाइनेंशियल एंड इनवेस्टमेंट कंपनी ने सेबी से निवेश सलाहकारों से जुड़े नियमों के बारे में सलाह मांगी थी. एडवाइजर फर्म ने पूछा था कि क्या उसके ग्राहक अपनी मर्जी से उसे पावर ऑफ अटॉर्नी दे सकते हैं, ताकि वह उनकी तरफ से उनके खातों के बारे में कस्टोडियम से इंक्वायरी कर सकें. साथ ही कंपनी ने यह भी पूछा था कि क्या वे एक बार अपने ग्राहकों से पावर ऑफ अटॉर्नी और लिखित अनुमति और निर्देश हासिल करने के बाद हमेशा के लिए उनकी तरफ से उनके खातों के कस्टोडियन से संपर्क करके उनके निवेश के फैसलों और इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के बारे में सूचनाएं हासिल कर सकते हैं? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए सेबी ने एक प्रपत्र जारी किया है, हालांकि इसमें बताया गया कि ये गाइडलाइन पूछे गए सवालों पर आधारित हैं. अलग-अलग केसेस में नियमों में बदलाव संभव है.


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