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आदित्य चोपड़ा: कोरोना संकट के आर्थिक दुष्परिणामों से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने जो तात्कालिक वित्तीय कदम उठाये हैं उनका स्वागत इस दृष्टि से किया जाना जरूरी है कि इनसे फौरी तौर पर लघु उद्यमियों व निजी कर्जदारों के अलावा कोरोना महामारी से निपटने के लिए आवश्यक औषधियां व उपकरण बनाने वाली कम्पनियों व उद्यमियों को कुछ राहत मिलेगी। रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ की धनराशि एेसी कम्पनियों को वित्तीय मदद देने की गरज से बैंकों के खातों में डालने की घोषणा की है तथा दस हजार करोड़ रुपए की धनराशि निजी व लघु उद्यमियों या छोटी वाणिज्य फर्मों को अपने कर्ज में परिशोधन करने के लिए दी है। साथ ही उन्होंने राज्य सरकारों के लिए बैंकों से सीमा से अधिक ऋण (ओवर ड्राफ्ट) की अवधि भी 36 दिन से बढ़ा कर 50 दिन कर दी है। विचारणीय बिन्दू यह हो सकता है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप के चलते क्या ये कदम पर्याप्त होंगे? भारत की 139 करोड़ की आबादी को देखते हुए 18 वर्ष से ऊपर के 80 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जानी है जिनमें से अभी तक केवल 16 करोड़ को कोवैक्सीन लग पाई है।