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मांग कम होने से घटे तेल और तिलहन के दाम, इन तेलोे की कीमतों में भी गिरावट

Khushboo Dhruw
31 May 2021 6:09 PM GMT
मांग कम होने से घटे तेल और तिलहन के दाम, इन तेलोे की कीमतों में भी गिरावट
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घरेलू तेल तिलहनों के दाम पर भी दबाव कायम हो गया

मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 3.25 प्रतिशत की गिरावट के बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में सोमवार को घरेलू तेल तिलहनों के दाम पर भी दबाव कायम हो गया. मांग कमजोर होने से सरसों तिलहन, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल तिलहन, बिनौला और पाम एवं पामोलीन तेल की कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं.

बाजार सूत्रों ने कहा कि आठ जून से सरसों तेल की मिलावट पर रोक के फैसले के बाद विदेशों में सोयाबीन डीगम और पामोलीन की मांग बेहद कमजोर हुई है. तेल कारोबार के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सरकार से शिकायत की है कि नेपाल के रास्ते उत्पाद उत्पत्ति स्थल के नियमों की अनदेखी करके सोयाबीन और कच्चे पाम तेल का नेपाल के रास्ते शून्य शुल्क पर भारी मात्रा में देश में आयात किया जा रहा है, जिसपर रोक लगाई जाए. यह दर्शाता है कि झूठी अफवाहों की चोट से विदेशों में खाद्य तेलों की हालत पस्त है. विदेशों में इस गिरावट का असर देश के सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला, पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों पर हुआ और इनके भाव भी गिरावट दर्शाते बंद हुए.
मिलाटव में रोक की वजह से बढ़ेगी पैदावार
सूत्रों ने कहा कि मिलावट पर रोक की खबर से चावल भूसी के तेल की भी मांग प्रभावित हुई है. मिलावट पर रोक की वजह से घरेलू उपभोक्ताओं को गैर-मिलावटी शुद्ध सरसों तेल खाने को मिलेगा और भविष्य में इसकी पैदावार में भारी वृद्धि होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि देश में खाद्य तेलों का सालाना उत्पादन लगभग 75 लाख टन का होता है जिसके आधे हिस्से की पूर्ति सरसों तेल से होती है. सरकार ने लगभग 20 प्रतिशत सरसों तेल के साथ 80 प्रतिशत चावल भूसी, सोयाबीन डीगम जैसे सस्ते आयातित तेलों की ब्लेंडिंग करने की छूट दे रखी थी. सूत्रों ने कहा कि संभवत: इसी वजह से देश में सरसों तेल तिलहन का उत्पादन नहीं बढ़ पाया. उन्होंने कहा कि अब चूंकि किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिलने लगे हैं और मिलावट पर रोक लगने जा रही है तो सरसों की आगामी पैदावार बम्पर होने की पूरी की पूरी संभावना है.
सोयाबीन के बीज के लिए अच्छे दानों की किल्लत
सूत्रों ने कहा कि सरकार को तिलहन उत्पादन पर अधिक ध्यान देना होगा और इसके लिए जरूरी है कि तिलहन किसानों को उनकी ऊपज के लिए बेहतर दाम के साथ प्रोत्साहन भी मिले. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन के बीज के लिए अच्छे दाने की किल्लत है. सरकार को इन जगहों पर बीज के लिए सोयाबीन के बेहतर दाने का इंतजाम जल्द से जल्द करना चाहिए.


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