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जानिए क्यों बढ़ रहा सरसों के तेल का दाम

Apurva Srivastav
7 May 2021 6:33 PM GMT
जानिए क्यों बढ़ रहा सरसों के तेल का दाम
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सरसों का शुद्ध तेल खाने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है

सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद इस साल ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके तेल के दाम (Mustard Oil Price) में आग लगी हुई है. यहां 180 रुपये प्रति लीटर की दर पर इसे बेचा जा रहा है. जबकि पिछले साल 140 रुपये का ही रेट चल रहा था. यह रेट तो तब है जब अभी सरसों लोगों के खेतों से निकली है. ऑफ सीजन में इसका दाम 200 रुपये लीटर तक पहुंचने का अनुमान है. इस साल पूर्वी उत्तर प्रदेश में सरसों उत्पादन में कमी दिख रही है. इसलिए तेल में इतनी तेजी है. इतना दाम भी दुकानों का नहीं बल्कि सीधे कोल्हू वालों के यहां से खरीदने पर लग रहा है. गांवों में शुद्धता की वजह से लोग सीधे कोल्हू से तेल खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं.

सरसों अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. पीके राय का कहना है कि सरसों का शुद्ध तेल खाने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. बढ़ती बीमारियों को देखते हुए लोग सेहत के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो रहे हैं. इसलिए सरकार की मंशा भी इसमें होने वाली ब्लेंडिंग (मिलावट) को रोकने की है. सरसों के तेल में तय मात्रा में अन्य खाद्य तेलों के सम्मिश्रण को ब्लेंडिंग कहते हैं.
क्यों बढ़ रहा तेल का दाम?
डॉ. राय के मुताबिक जिस दिन फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ब्लेंडिंग प्रतिबंधित करेगी उसी दिन तेल का दाम और बढ़ जाएगा. 2020-21 में 10.43 मिलियन टन सरसों के रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है. यह भी मांग के मुताबिक काफी कम है. तिलहन की इसी कमी की वजह से ही तेल के दाम में इतनी तेजी देखी जा रही है.
यूपी के वरिष्ठ पत्रकार टीपी शाही कहते हैं कि इस साल पूर्वांचल में सरसों का उत्पादन (Mustard Production) कम रहा है. क्योंकि बारिश बहुत देर से हुई थी जिससे बुवाई प्रभावित हुई. बुवाई आमतौर पर अक्टूबर में होती है लेकिन इस बार दिसंबर में हुई. जब खेती कम होगी तो जाहिर है कि तेल के दाम में तेजी दिखेगी. वैसे उत्तर प्रदेश प्रमुख सरसों उत्पादक राज्य है. जहां देश का 11.40 फीसदी उत्पादन होता है.
दाम का ये है गणित
-एक क्विंटल सरसों में औसतन 36 लीटर तेल निकलता है.
-सरसों का औसत दाम 6000 रुपये क्लिंटल चल रहा है.
-इस तरह शुद्ध तेल का दाम 166 रुपये होगा.
-इस पेराई करने वाला अपना मुनाफा जोड़ेगा.
-एक क्विंटल सरसों में करीब 60 किलो खली निकलेगी.
-करीब 1320 रुपये की खली होगी.
-इससे कोल्हू, ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग का खर्च निकल जाएगा.
इसीलिए तिलहन पर फोकस कर रही सरकार
-खाद्य तेलों के आयात पर देश की निर्भरता कम करने के लिए मोदी सरकार ने राष्ट्रीय तिलहन मिशन (National Oil Seed Mission) शुरू किया है. इस पर पांच साल में करीब 19,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. सरसों की खेती (Mustard farming) को प्रमोट किया जाएगा. ताकि जो पैसा हम दूसरे देशों को दे रहे हैं, वह अपने यहां के किसानों को मिले. सरकार 14 मिलियन टन सरसों उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए काम कर रही है. भारत सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपए का खाद्य तेल आयात करता है.


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