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जानिए क्या है बैटरी स्वाइपिंग नीति, जाने फायदा और नुकसान

Subhi
11 March 2022 3:31 AM GMT
जानिए क्या है बैटरी स्वाइपिंग नीति, जाने फायदा और नुकसान
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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का विस्तार करने के लिए ऑटो प्लेयर और सरकार भरसक प्रयास कर रही है, यही वजह है कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर फेम 2 स्कीम के तहत सब्सिडी दे रही है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का विस्तार करने के लिए ऑटो प्लेयर और सरकार भरसक प्रयास कर रही है, यही वजह है कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर फेम 2 स्कीम के तहत सब्सिडी दे रही है। बजट 2022-23 में ऑटो इंडस्ट्री के लिए वृत्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैटरी स्वाइपिंग नीति लागू करने की घोषणा की थी, तब से यह विषय चर्चा में है। आइये आपको बताते हैं क्या होती है बैटरी स्वाइपिंग नीति और इससे वाहन इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों का क्या होगा फायदा।

इस समय भारत के ईवी बाजार में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर का 90 फीसदी कब्जा है। वहीं इस समय टॉप 5 इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपने में से चार रिमूवेबल बैटरी प्रदान करती है।

क्या होता है बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी

बैटरी स्वैपिंग एक ऐसी विधि है, जिसमें समाप्त बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है। बैटरी की अदला-बदली चिंता, कम वाहन लागत और कुशल चार्जिंग व्यवस्था के लिए एक संभावित समाधान है। यह नए बैटरी पैक खरीदने में लगने वाली लागत से बचाता है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स के जेब पर अधिक भार नहीं जाता है।

बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी के फायदे

इस योजना से लाभान्वित होने वाली पहली पंक्ति में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर ग्राहक हैं, जो घरेलू एलपीजी के लिए बैटरी स्वैपिंग सेवा की तरह ही लीज या सब्सक्राइब कर सकते हैं। उसके बाद बैटरी निर्माता हैं, जो अब इंटरऑपरेबिलिटी मानकों का पालन करने के लिए एक विशिष्ट ढांचे के तहत काम करेंगे। बैटरी स्वाइपिंग से हर वर्ग के लोगों को फायदा होगा, जैसे- इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स, इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल और इलेक्ट्रिक बसें।

यह नीति मुख्य रूप से ई-कॉमर्स डिलीवरी और तिपहिया परिवहन सेवा क्षेत्रों में इलेक्ट्रिफिकेशन को टारगेट करती है, क्योंकि दोनों में समय की कमी है जिसे फास्ट-चार्जिंग स्टेशन भी हल नहीं कर सकते हैं। इसका मतलब ये है कि इस नीति को लागू होने के बाद इस सेक्टर को सीधे फायदा होगा। कॉमर्सियल वाहनों के लिए सरकार का इलेक्ट्रिफिकेशन टारगेट निजी कारों की तुलना में 70 प्रतिशत पर बहुत अधिक है, जो 2030 तक 30 प्रतिशत बाजार में प्रवेश हासिल करने की उम्मीद है। दिल्ली सरकार ने पहले ही घोषणा की है कि सभी सवारी एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना होगा।

बैटरी स्वाइपिंग पॉलिसी के नुकसान

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की एक हालिया रिपोर्ट ने ईवी व्यवसाय में बड़े पैमाने पर आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं की ओर इशारा किया, जो कि बैटरी निर्माण में जाने वाली सीमित सामग्रियों के लिए अनियमित खनन प्रैक्टिस के कारण है।

बैटरी स्वैपिंग सिस्टम के साथ, सड़क पर समान मात्रा में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रभावी रूप से कहीं अधिक बैटरी होगी, इसलिए संसाधनों के सीमित पूल पर अधिक दबाव पड़ेगा। आईईए की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में लिथियम कार्बोनेट जैसी बैटरी सामग्री की कीमतों में 150 प्रतिशत, ग्रेफाइट में 15 प्रतिशत और निकल में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


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