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हरियाणा के किसान एक बड़े बदलाव की तरफ अग्रसर हो रहे हैं. राज्य में फसल विविधीकरण योजना के तहत खरीफ सीजन में धान और बाजरा की जगह किसान अब दलहनी और तिलहनी फसलों को तरजीह देने लगे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- हरियाणा के किसान एक बड़े बदलाव की तरफ अग्रसर हो रहे हैं. राज्य में फसल विविधीकरण योजना के तहत खरीफ सीजन में धान और बाजरा की जगह किसान अब दलहनी और तिलहनी फसलों को तरजीह देने लगे हैं. आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि खरीफ सत्र में पिछले साल के मुकाबले इस बार दलहनी फसलों का रकबा करीब 75 प्रतिशत तक बढ़ा है. राज्य सरकार धान और बाजरा की खेती की जगह दलहन और तिलहन की खेती करने के लिए किसानों को आर्थिक रूप से भी प्रोत्साहित कर रही है, जिसके नतीजे हमारे सामने हैं.
द ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, 2020 की तुलना में दलहन (मूंग, अरहर और उड़द) के रकबे में 2021 खरीफ सीजन 74 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है. वहीं उत्पादन 67 प्रतिशत बढ़ा है. अकेले मूंग की खेती का रकबा 1,13,521 एकड़ से बढ़कर 1,98,438 एकड़ हो गया है, जिसमें 84,917 एकड़ की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है.
तिलहन के उत्पादन में 48 फीसदी की बढ़ोतरी
इसी तरह की बढ़ोतरी तिलहन के रकबे और उत्पादन में भी देखने को मिली है. आंकड़ों से पता चलता है कि तिलहन के रकबे में पिछले साल के मुकाबले इस बार 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और उत्पादन 48 फीसदी तक बढ़ा है. अन्य फसलों की बात करें तो मूंगफली का रकबा 22,847 एकड़ से बढ़कर 27,230 एकड़ हो गया है. इसमें 4,383 एकड़ की बढ़ोतरी हुई है. वहीं तिल की खेती के कुल क्षेत्र में 7,469 एकड़ की वृद्धि दर्ज की गई है और यह 4,298 एकड़ से बढ़कर 11,767 एकड़ तक पहुंच गया है.
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