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एपीडा प्रमुख ने कहा- गेहूं निर्यात पर रोक लगाकर किसानों की आय की रक्षा कर रही सरकार, लाभ देने की हो रही कोशिश
Gulabi Jagat
12 Jun 2022 7:52 AM GMT
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एपीडा प्रमुख ने कहा
केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस फैसले पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाले एपीडा के प्रमुख ने कहा है कि सरकार ने किसानों की आय की रक्षा करने के लिए गेहूं निर्यात (Wheat Export) पर रोक लगा दिया था. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश किसानों को अधिक से अधिक लाभ देने की रही है. इस बार किसानों ने बहुत अधिक मात्रा में गेहूं की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक कीमत पर की है. उन्होंने कहा कि निर्यात पर प्रतिबंध घरेलू मांग को पूरा करने पर केंद्रित है.
मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए सरकारी बयान के मुताबिक, एपीडा के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने कहा कि पिछले महीने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा के बाद भारत ने उन विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने गेहूं निर्यात के विकल्प खुले रखे हैं, जिन्होंने भारत से गेहूं से आयात का अनुरोध किया है. भारत से गेहूं आयात करने के लिए कई देशों के अनुरोधों पर सरकारी स्तर पर कार्रवाई की जा रही है.
MSP पर खरीद से किसानों को अत्यधिक लाभ हुआ
उन्होंने कहा कि इस वर्ष सरकारी एजेंसियों के एमएसपी पर खरीद से गेहूं किसानों को अत्यधिक लाभ हुआ है, जबकि किसानों ने अपने गेहूं उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एमएसपी से बहुत अधिक मूल्य पर निजी व्यापारियों को बेचा है. गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय घरेलू आपूर्ति श्रृंखला के लिए गेहूं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया. अप्रैल में निर्यात में अचानक उछाल ने घरेलू मूल्य स्थिरता और आपूर्ति पर चिंता पैदा कर दी जिसने सरकार को गेहूं के निर्यात रोकने के लिए प्रेरित किया.
एपीडा के अध्यक्ष ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर गेहूं का बाजार अस्थिर है. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति में हुई कमी की वजह से वैश्विक कीमतें अधित बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में रखते हुए सरकार ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित सभी प्रमुख अनाज उत्पादक राज्यों में एमएसपी पर गेहूं की खरीद के अलावा कई मंडियों में निजी व्यापारियों को अपने गेहूं को एमएसपी से अधिक कीमत पर बेचने की अनुमति दी.
इस बार किसानों ने MSP से अधिक दाम पर की बिक्री
केंद्र सरकार किसानों और उपभोक्ताओं के हितों को एक साथ संतुलित करने में काफी सावधानी बरत रही है. भारत सरकार की नीति का उद्देश्य यह है कि किसान अपनी उपज के लिए अधिक पारिश्रमिक प्राप्त कर सकें और केंद्र के निर्णय से अधिकांश किसानों को मदद मिली है. यह बताया गया है कि वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन (वर्ष 2022-23) के दौरान, किसानों ने अपनी उपज को वर्ष 2015 के एमएसपी के मुकाबले 2150 रुपए प्रति क्विंटल की औसत दर से बेचा.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार से सरकार के अनुबंध के आधार पर और खाद्य संकट का सामना कर रहे किसी भी अन्य कमजोर देश के लिए गेहूं का निर्यात खुला रहेगा. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था कि भारत परंपरागत रूप से अनाज का निर्यातक नहीं रहा है. दावोस में विश्व आर्थिक मंच में गोयल ने कहा था कि हमारे किसानों ने कड़ी मेहनत की और हरित क्रांति की शुरुआत की थी. भारत का गेहूं का उत्पादन मुख्य रूप से अपनी आबादी की खपत के लिए है.
वैश्विक गेहूं व्यापार में भारत का हिस्सा मामूली
भले ही भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है, भारत वैश्विक गेहूं व्यापार में अपेक्षाकृत मामूली रूप से शामिल रहा है, जबकि चावल के वैश्विक व्यापार में देश का हिस्सा 45 प्रतिशत से अधिक है. गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करके, सरकार ने महंगाई की चिंताओं को देखते हुए खाद्य सुरक्षा की रक्षा करना चुना. विदेश व्यापार महानिदेशालय के अनुमान के अनुसार, भारत ने वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 70 लाथ टन गेहूं का निर्यात किया है, जिसका मूल्य 2.05 बिलियन डॉलर है. पिछले वित्त वर्ष में कुल निर्यात में से लगभग 50 प्रतिशत गेहूं का हिस्सा बांग्लादेश को निर्यात किया गया था.
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