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बेंगलुरु। बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (निम्हांस) के अधिकारियों की उदासीनता के कारण कथित तौर पर सिर में चोट लगने से डेढ़ वर्ष के बच्चे की मौत हो गई। जबकि, हासन से बेंगलुरु तक 224 किलोमीटर लंबे ‘ग्रीन कॉरिडोर’ की व्यवस्था की गई थी। एम्बुलेंस चालक हासन से बेंगलुरु तक की 224 किमी की दूरी 1 घंटे 40 मिनट में तय करने में कामयाब रहा और निम्हांस पहुंच गया। चिक्कमगलुरु के बसवनगुड़ी के निवासी वेंकटेश और ज्योति के मृत बच्चे को घर पर सिर में चोट लगी थी और उसे हासन के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बच्चे को निम्हांस ले जाने की सलाह दी थी।
डॉक्टरों ने निम्हांस में प्रशासन यूनिट को फोन किया और उन्हें बच्चे की तत्काल उपचार आवश्यकताओं के बारे में सूचित किया। हालांकि, निम्हांस अधिकारियों ने माता-पिता को बताया था कि कोई बेड उपलब्ध नहीं था। यहां तक कि जब माता-पिता ने बेड और इलाज शुरू करने की गुहार लगाई, तब भी अधिकारियों ने कथित तौर पर कोई जवाब नहीं दिया। इसी बीच बच्चे ने अस्पताल परिसर में ही दम तोड़ दिया। इस घटना ने सार्वजनिक आक्रोश पैदा कर दिया है और निम्हांस के अधिकारियों की उस आपातकालीन स्थिति पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचना की गई, जिसके परिणामस्वरूप बच्चे की मौत हो गई। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि निम्हांस में व्यवस्थाएं उचित नहीं थी। यहां बहुत भीड़ है। अधिकारी दबाव के बावजूद गुणवत्तापूर्ण इलाज सुनिश्चित कर रहे हैं। हमें उनका दबाव कम करना होगा। मैं बच्चे की मौत के बारे में और जानकारी जुटाऊंगा।