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कहीं आपमें भी तो नहीं है ये गड़बड़ आदत?
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अल्जाइमर-डिमेंशिया जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के मामले पिछले एक-दो दशकों में काफी तेजी से बढ़े हैं, विशेषज्ञों को चिंता है कि आने वाले कुछ दशकों में इसके मामले और भी बढ़ सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले इन विकारों में याददाश्त कम होने के साथ निर्णय लेने, काम करने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है जो क्वालिटी ऑफ लाइफ के लिए भी समस्याएं बढ़ाने वाली मानी जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं आनुवांशिकता के साथ लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण इस तरह की दिक्कतें काफी बढ़ गई हैं। विशेषतौर पर लोगों में बढ़ती शारीरिक निष्क्रिया और व्यायाम की कमी इसमें ज्यादा चिंताजनक हो सकती है। जो लोग व्यायाम नहीं करते हैं उनमें उम्र बढ़ने के साथ अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया होने की आशंका अधिक होती है। यह आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि व्यायाम को डिमेंशिया कम कम करने वाला उपाय पाया गया है।
सभी लोगों को व्यायाम की आदत जरूर बनानी चाहिए, यह आपको भविष्य में इन जोखिमों से बचाने में मददगार हो सकती है।व्यायाम से डिमेंशिया में लाभ
कई अध्ययनों में मध्यम आयु वर्ग के लोगों और जीवन के बाद की अवधि में उनकी सोच और स्मृति पर व्यायाम के प्रभावों का आकलन किया गया। इस तरह के 11 अध्ययनों के परिणामों से पता चलता है कि नियमित व्यायाम करने वाले लोगों में डिमेंशिया विकसित होना का जोखिम लगभग 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
यूके अल्जाइमर्स सोसाइटी द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि एरोबिक व्यायाम (व्यायाम जो आपकी हृदय गति को बढ़ाता है) आपकी सोच और स्मृति में सुधार करके डिमेंशिया के जोखिमों को कम करने में लाभकारी हो सकते हैं।
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