यूक्रेन युद्ध पर पुतिन को PM मोदी की दोटूक सलाह की दुनिया हुई मुरीद

Update: 2022-09-23 01:07 GMT

यूक्रेन पर रूसी हमलों को लेकर भारत के रुख को अब दुनिया में स्पष्ट मान्यता मिलने लगी है. पिछले सप्ताह की शुरुआत में उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में हुई एससीओ की बैठक हुई थी. उस बैठक में पीएम मोदी ने आमने-सामने की बातचीत मे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दोटूक समझाया था कि यह दौर युद्धों का नहीं है. आपसी मतभेदों को बातचीत, कूटनीति और लोकतंत्र के दायरे में सुलझाया जाना चाहिए.

पीएम मोदी ने पुतिन को युद्ध खत्म करने के लिए समझाया

यह पहली बार था कि जब किसी देश के शासन प्रमुख ने रूस जैसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति को आमने-सामने की बातचीत में युद्ध बंद करने के लिए समझाया हो. पीएम मोदी की इस साफगोई की अब दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है. भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने न्यूयार्क में कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तरीके से रूसी राष्ट्रपति को उनकी गलती के समझाया है. अब उन्हें यह युद्ध बंद करके यूक्रेन को हुए नुकसान का हर्जाना देना चाहिए. रो खन्ना ने सुझाव दिया कि पीएम मोदी के रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं. इसलिए वे इस मसले के 'शांतिपूर्ण समाधान और युद्धविराम' में भी मदद कर सकते हैं.

'आज का दौर युद्ध का दौर नहीं है'

वहीं हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के लिए अमेरिका के सहायक मंत्री डॉ. ऐली एस. रैटनर ने कहा कि पिछले वीकेंड में प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणियों (यूक्रेन मुद्दे पर) से हमें खुशी हुई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने की गई उस टिप्पणी से प्रसन्न है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'आज का दौर युद्ध का दौर नहीं है.'

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने की थी पीएम मोदी की तारीफ

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा की बैठक में बोलते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रां ने भी भारत की तारीफ की थी. अपने भाषण में उन्होंने कहा कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को साफ तौर पर समझा दिया है कि बाकी दुनिया यूक्रेन युद्ध के बारे में क्या सोचती है. उन्हें अब इस संदेश को समझते हुए यह युद्ध तुरंत यहीं रोक देना चाहिए.

शुरू में भारत के रुख के खिलाफ थे पश्चिमी देश

बताते चलें कि यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद से आज तक भारत ने रूस की आलोचना करने से परहेज किया है. भारत उन 34 देशों में शामिल था, जिन्होंने मार्च में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक वोट में भाग नहीं लिया था. इस बैठक में यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस की निंदा की गई थी. जिसमें भारत और चीन जैसे कई देश गैर-हाजिर रहे थे. भारत ने कहा था कि किसी की निंदा या समर्थन करके इस मसले का हल नहीं निकलेगा. इसके लिए दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठकर सीधी वार्ता करनी चाहिए. भारत के इस रुख पर शुरुआत में पश्चिमी देशों ने खूब आंखें तरेरी थी लेकिन अब वे भारत के रुख के पक्ष में आने लगे हैं.

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