अमेरिका में क्यों है सड़क किनारे लगे स्मारक-बोर्डों पर विवाद? जानें पूरा मामला

ये मार्कर कई जगह ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए. कई जगह सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं.

Update: 2021-12-28 03:53 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ये मार्कर कई जगह ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए. कई जगह सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं. संस्थानों-सड़कों के नाम या तो बदले गए या फिर उनके नाम के साथ जुड़े इतिहास पर पुनर्विचार हुआ.करीब एक सदी से पेनसिलवेनिया इतिहास/ऐतिहासिक स्मारकों से जुड़े स्मृति चिह्न लगाता आ रहा है. मगर अगस्त 2017 में जब वर्जिनिया स्थित शर्लोट्सविले शहर में नस्लीय हिंसा हुई, उसके बाद इन ऐतिहासिक प्रतीकों पर नए सिरे से चर्चा छिड़ी. जनता की ओर से पूछा जाने लगा कि सड़कों के किनारे लगाए गए प्रतीकों के माध्यम से आखिरकार किनकी कहानियां सुनाई जा रही हैं. इन कहानियों की भाषा पर भी सवाल उठे. सैकड़ों मार्करों की समीक्षा इन सवालों के कारण पेनसिलवेनिया हिस्टोरिकल ऐंड म्यूजियम कमीशन ने सभी ढाई हजार मार्करों की समीक्षा की. इस समीक्षा में तथ्यात्मक गलतियों, अपर्याप्त ऐतिहासिक संदर्भों और नस्लीय भाषा के इस्तेमाल को रेखांकित करने पर विशेष ध्यान दिया गया. इस समीक्षा के कारण अब तक दो मार्कर हटाए जा चुके हैं. दो में सुधार किया गया है और दो अन्य मार्करों के लिए नई पंक्तियां लिखे जाने का आदेश जारी हुआ है. ये मार्कर कई जगहों पर गुलामी प्रथा, अश्वेत आबादी को अलग रखे जाने की परंपरा और नस्लीय हिंसा जैसे ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए हैं.

इसी लहर के चलते कई जगहों पर सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं. और, संस्थानों-सड़कों के नाम या तो बदले गए, या फिर उनके नाम के साथ जुड़े इतिहास पर बहस हुई. 'जितना सच जानेंगे, उतने बेहतर होंगे' अलबामा स्थित इक्वल जस्टिस इनिशिएटिव ने नस्लीय लिंचिंग के अध्यायों को याद रखने के लिए दर्जनों ऐतिहासिक मार्कर लगवाए हैं. उसका कहना है कि इतिहास के किन पात्रों को याद रखा जाता है, कौन सी घटनाएं याद रखी जाती हैं, कौन सी चीजें लोगों के दिमाग में छप जाती हैं, ये सभी चीजें बताती हैं कि समाज कैसा है. फिलाडेल्फिया स्थित टेंपल यूनिवर्सिटी का चार्ल्स एल ब्लॉकसन एफ्रो-अमेरिकन कलेक्शन, अमेरिका की ब्लैक हिस्ट्री से जुड़े साहित्य और बाकी चीजों के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है. इसके क्यूरेटर डिएन टर्नर का कहना है कि ऐतिहासिक मार्कर लोगों में जागरूकता बढ़ाते हैं. साथ ही, वे संस्थागत नस्लीय भेदभाव से लड़ने में भी मददगार साबित हो सकते हैं. टर्नर कहते हैं, 'सबकी कहानी सुना सकने लायक होना समाज के लिए अच्छा है. ऐसी कहानियों को जगह मिलनी चाहिए. क्योंकि हम जितना ज्यादा सच जानेंगे, उतना ही हमारे लिए बेहतर है.' प्रेसिडेंट विल्सन से जुड़ा विवादित इतिहास पेनसिलवेनिया हिस्ट्री एजेंसी को ब्रिन मार कॉलेज की अध्यक्ष किंबरले राइट कैसिडी का आग्रह मिला था.
इसपर अमल करते हुए एजेंसी ने कॉलेज परिसर के किनारे लगे एक मार्कर को हटा दिया. इस मार्कर पर लिखा था कि प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने कुछ समय के लिए कॉलेज में पढ़ाया था. कैसिडी ने एजेंसी को भेजे अपने पत्र में ध्यान दिलाया कि विल्सन महिलाओं की बौद्धिक क्षमता को नकारने वाली टिप्पणियां करते थे. साथ ही, सरकारी नौकरियों में अफ्रीकन अमेरिकन मूल के लोगों को अलग-थलग रखने की उनकी नीति भी नस्लीय थी. प्रांतीय सरकार ने पिट्सबर्ग के पॉइंट स्टेट पार्क से भी एक मार्कर को हटाया. इसमें वह जगह दर्ज थी जहां 1758 में ब्रिटिश जनरल जॉन फोर्ब्स को एक सैन्य जीत मिली थी. मार्कर पर लिखा था कि इस जीत ने अमेरिका में एंग्लो-सैक्सन सर्वोच्चता कायम की. कमीशन ने केंद्रीय पेंसिलवेनिया के फुलटॉन काउंटी में लगे मार्करों की भी समीक्षा की. ये मार्कर 1863 में हुई गेटीसबर्ग की लड़ाई के बाद हुई कॉन्फेडरेट आर्मी की गतिविधियों से जुड़े थे. मार्करों से जुड़ी इस समीक्षा पर राजनैतिक बयानबाजी भी हो रही है. हिस्टॉरिकल ऐंड म्यूजियम कमीशन में नियुक्त किए गए रिपब्लिकन स्टेट प्रतिनिधि पार्क वेंटलिंग ने आलोचना करते हुए लिखा, 'मुझे डर है कि यह कमीशन ऐतिहासिक विवादों में न्यायकर्ता की भूमिका निभाने की जगह जॉर्ज ऑरवेल के मिनिस्ट्री ऑफ ट्रूथ की तरह बर्ताव कर रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारी सत्ता में बैठे लोगों की सहूलियत के हिसाब से फिट बैठाने के लिए इतिहास में छेड़छाड़ करते थे.' दिसंबर 2021 में ही सीनियर स्टेट हाउस रिपब्लिकन प्रेस सहयोगी स्टीव मिस्किन ने एक ट्वीट में लिखा, 'क्या स्कूली किताबों से भी कन्फेडरेसी को हटा दिया जाएगा? जिन टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों में कन्फेडरेसी का जिक्र है, क्या उसे सेंसर कर दिया जाएगा?' मार्करों की भाषा पर मतभेद ऐतिहासिक मार्करों की भाषा कैसी हो.


उन्हें लगाया जाए भी या नहीं, हालिया सालों में इन सवालों को लेकर काफी मतभेद रहा है. पेनसिलवेनिया में कमीशन ने अपने नियंत्रण वाले सभी ढाई हजार मार्करों की समीक्षा की. इसका फोकस यह देखना था कि इन मार्करों में अफ्रीकी अमेरिकी और मूल अमेरिकी लोगों की जिंदगी, उनकी आपबीतियों को किस तरह पेश किया गया है. करीब एक साल पहले कमीशन ने 131 ऐसे मार्करों की पहचान की, जिनमें बदलाव की जरूरत है. इनमें से 18 मार्कर ऐसे हैं, जिनपर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई गई. इतिहासकार इरा बैकरमैन ने हाल ही में ब्लैक और मूल अमेरिकी इतिहास से जुड़े पेनसिलवेनिया के मार्करों से जुड़ा एक शोध प्रकाशित किया. इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'किसने कौन सी लड़ाई शुरू की, इसपर बहुत शोर हो रहा है. अगर सेटलरों ने शुरू की, तो वह एक युद्ध था और लड़े जाने योग्य था. अगर मूल निवासियों ने प्रतिक्रिया स्वरूप हिंसा की, तो फिर वह नरसंहार और क्रूरता थी.' बैकरमैन के मुताबिक, पेनसिलवेनिया के 348 मूल निवासी ऐतिहासिक मार्कर नस्लीय भेदभाव और श्वेत राष्ट्रवाद से जुड़ा सटीक इतिहास बताते हैं.


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