भारत में रहस्यमयी हमले का शिकार हुआ अमेरिकी जासूस, सीआईए चीफ को सीधी चेतावनी
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर बिल बर्न्स ने इस महीने भारत का दौरा किया था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के डायरेक्टर बिल बर्न्स (CIA Director Bill Burns) ने इस महीने भारत का दौरा किया था. उनकी टीम के एक सदस्य में लगातार हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome) के लक्षण देखे गए. हालत खराब होने के बाद उनका इलाज भी किया गया. सीआईए के कई अधिकारियों का मानना है कि इस घटना के जरिए बर्न्स को यह सीधा संदेश दिया गया कि कोई भी सुरक्षित नहीं है. फिर चाहे वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी का अधिकारी ही क्यों न हो.
एक महीने के अंदर ऐसा दूसरी बार हुआ है जब बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों की अंतरराष्ट्रीय यात्रा रहस्यमय बीमारी से प्रभावित हुई है. पिछले महीने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की वियतनाम यात्रा को इसलिए कुछ समय के लिए टाल दिया गया था, क्योंकि अमेरिका के कई अधिकारी यात्रा से पहले हवाना सिंड्रोम का शिकार हो गए थे.
बर्न्स और डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस अवरिल हैनेस के नेतृत्व में हवाना सिंड्रोम के इस रहस्यमय हमले की काफी जांच की गई है. बताया जा रहा है कि यह जांच इस साल के आखिर तक पूरी हो जाएगी. अभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की संभावना नहीं है. इस बीच सीआईए के प्रवक्ता ने इन घटनाओं और अधिकारियों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
सीआईए के एक सूत्र ने CNN से कहा, 'जब किसी को ऐसी दिक्कत होती है, तो उसका इलाज कराया जाता है. हम अपने अधिकारियों की सुरक्षा के लिए काम करते रहेंगे.' सीआईए के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम विशिष्ट घटनाओं या अधिकारियों पर टिप्पणी नहीं करते हैं. जब व्यक्ति संभावित असामान्य स्वास्थ्य घटनाओं की रिपोर्ट करते हैं, जिसमें उचित चिकित्सा उपचार प्राप्त करना शामिल है, तो हमारे पास प्रोटोकॉल है. हम अपने अधिकारियों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते रहेंगे.'
भारत में सीआईए डायरेक्टर की टीम पर रहस्यमय हमले का नाटकीय असर पड़ सकता है. सीआईए डायरेक्टर की यात्रा पहले से काफी गोपनीय थी और उनकी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. इसके बाद भी उनकी टीम के सदस्य पर रहस्यमय हमला कई सवाल खड़े करता है. इससे यह भी पता चलता है कि इस हमले को अंजाम देने वाले सीआईए डायरेक्टर की यात्रा से परिचित थे.
क्या है हवाना सिंड्रोम?
साल 2016 में क्यूबा में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने शिकायत की थी कि उन्हें उल्टी, नाक से खून और बेचैनी हो रही है. इस मामले के बाद इसे हवाना सिंड्रोम कहा जाने लगा था. कहा जाता है कि अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ छिपकर सोनिक वेपन का इस्तेमाल किया गया था.
चीन और रूस में भी हुए ऐसे मामले
अमेरिकी अधिकारियों ने इसी तरह की घटनाओं की शिकायत चीन और रूस में भी की है.उन्होंने कहा कि दूतावास की इमारत के कुछ कमरों में उन्हें इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ा. एक सूत्र ने बताया कि इन हमलों की जब सीआईए ने मोबाइल फोन लोकेशन डेटा के आधार पर जांच की थी, तो उन्हें उसी शहर में कुछ ऐसे रूसी एजेंटों के मौजूद होने के बारे में जानकारी मिली थी, जो माइक्रोवेब वेपन कार्यक्रम पर काम कर चुके हैं.
साल 2018 में अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना था कि विदेशों में अमेरिकी राजनयिकों और खुफिया एजेंसी सीआईए के अधिकारियों पर जानबूझकर हमले के पीछे रूस प्रमुख संदिग्ध है. हालांकि, ताजा रिपोर्ट में इस दिशा में कुछ भी निर्णायक निकलकर नहीं आया है.