भारत पर से हट सकता है अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा, राष्ट्रपति बाइडेन के सहयोगी ने दिए संकेत
हिंद महासागर में चीनी नौसेना (Chinese Navy) के गैरकानूनी दखल को रोकना चाहता है.’
रूस ने भारत को एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (S-400 Missile Defence System) की डिलीवरी करना शुरू कर दिया है. जिसके चलते भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है. अमेरिका के बहुत से सांसद इसका विरोध कर रहे हैं. अमेरिका भारत के खिलाफ काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगा सकता है. हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के ही सहयोगी भारत के बचाव में बोले हैं. प्रतिबंध लगाने वाली इस प्रतिबंध नीति के समन्वयक के तौर पर नामित हुए जेम्स ओ'ब्रायन ने संतुलन बनाने पर जोर दिया है.
विदेश विभाग के संयोजक के पद पर जेम्स ओ'ब्रायन की पुष्टि हुई है. उनसे सवाल पूछा गया कि क्या तुर्की के साथ अमेरिका ने जो किया, वो भारत के संबंध में कोई चेतावनी या सबक देता है (US Curbs on India). अमेरिका ने तुर्की पर एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद के चलते प्रतिबंध लगाए थे. इसपर ओ'ब्रायन ने कहा, दोनों स्थितियों की तुलना करना मुश्किल है. तुर्की ने नाटो का सहयोगी होने के बावजूद ऐसा किया है. जबकि भारत एक अधिक महत्व वाला पार्टनर है. लेकिन उसके रूस के साथ भी पुराने संबंध हैं.
चीन के साथ रिश्ते का जिक्र किया
जेम्स ओ'ब्रायन ने कहा, 'प्रशासन भारत को रूस के उपकरण लेने से रोक रहा है, लेकिन इसके पीछे भू-रणनीतिक वजह हैं, खासतौर पर चीन के साथ रिश्ते. इसलिए हमें देखना होगा कि संतुलन कैसे बनेगा. इस मामले में और कुछ कहना जल्दबाजी होगा.' मामले में रिपब्लिकन पार्टी के एक शीर्ष सांसद भी बोले. उन्होंने भी कहा कि भारत को कात्सा में छूट दी जानी चाहिए. सांसद टॉड यंग ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) के प्रशासन को ऐसी किसी भी कार्रवाई का विरोध करना चाहिए, जो भारत को क्वाड से दूर कर सकती है. जेम्स ओ'ब्रायन के नाम की पुष्टि को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान यांग ने कहा कि यह भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण रक्षा प्रणाली है.
भारत को जरूरी सहयोगी बताया
यंग ने कहा, 'चीन के खिलाफ हमारी प्रतिस्पर्धा में भारत एक महत्वपूर्ण सहयोगी (India China Issue) है और इसलिए मेरा मानना है कि हमें ऐसी किसी भी कार्रवाई का विरोध करना चाहिए, जो उन्हें हमसे और क्वाड से दूर कर सकता है. इसलिए हमारे साझा विदेशी नीतिगत हित को देखते हुए मैं भारत के खिलाफ कात्सा प्रतिबंधों में छूट का पुरजोर समर्थन करता हूं. जैसा कि यहां अधिकांश लोग जानते हैं, भारतीयों के पास पिछले दशकों से बहुत सारी विरासत प्रणालियां हैं और इसके लिए उन्हें रूस की प्रणाली पर निर्भर रहना पड़ता है. भारत चीनी घुसपैठ से अपनी भूमि की रक्षा और हिंद महासागर में चीनी नौसेना (Chinese Navy) के गैरकानूनी दखल को रोकना चाहता है.'