अमेरिकी सेना मे बदलाव, रक्षा विभाग ड्रैगन से मुलाकात के लिए बना रहा है खास रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के कार्यकाल में चीन और अमेरिका के बीच तनाव (China US Tension) लगातार बढ़ता चला गया
डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के कार्यकाल में चीन और अमेरिका के बीच तनाव (China US Tension) लगातार बढ़ता चला गया. अब जो बाइडेन (US President Joe Biden) अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, लेकिन उनके लिए भी ड्रैगन सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है. चीन से मुकाबला करने के लिए अमेरिका (America) का रक्षा विभाग (Pentagon) खास रणनीति बना रहा है. जानकारी मिली है कि बाइडेन प्रशासन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अमेरिकी सैन्य बलों की तैनाती में फेरबदल करने करने पर विचार कर रहा है. साथ ही चीन और रूस पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की तैयारी की जा रही है.
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पद संभालने के कुछ ही दिनों के भीतर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सेना की तैनाती से जुड़े विषय की समीक्षा की. इस समीक्षा के तहत पश्चिम एशिया में दशकों से चल रही जंग में फंसी सेना के लिए आगे का रास्ता भी तैयार करना भी शामिल है. इसके साथ ही बजट संबंधी चुनौतियों और देश के भीतर नस्लवाद एवं चरमपंथ जैसे मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाना है. सरकार के फैसले से सेना की प्राथमिकता पर भी असर पड़ेगा. यह समीक्षा ऐसे वक्त हो रही है, जब अफगानिस्तान से इस गर्मी तक अमेरिकी सैनिकों को पूरी तरह निकालने का पूर्ववर्ती प्रशासन का फैसला भी लंबित है.
नाटो गठबंधन के भी साथ
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विपरीत राष्ट्रपति जो बाइडेन नाटो गठबंधन को लेकर भी प्रतिबद्धता दिखाना चाहते हैं. इससे पश्चिम एशिया, यूरोप और एशिया प्रशांत में अमेरिकी सेना की मौजूदगी में फेरबदल हो सकता है. हालांकि, पूर्व में ऐसे बदलावों को सीमित कामयाबी ही मिली है. ट्रंप प्रशासन ने 2019 में फारस की खाड़ी में वायुसेना और नौसेना के अतिरिक्त बेड़े को तैनात किया था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली।
फेरबदल के मिल रहे संकेत
जो बाइडेन के पदभार संभालने के पहले से ही सैनिकों की तैनाती के स्थानों में फेरबदल के संकेत मिल रहे थे. दिसंबर में 'ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ' जनरल मार्क मिली ने भी प्रौद्योगिकी और भू-राजनीतिक स्थिति में बदलाव के कारण सुरक्षाबलों की तैनाती पर नए सिरे से विचार करने की बात कही थी. ऑस्टिन ने भी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी बलों की तैनाती में बदलावों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए थे