चीनी नामों से जानी जाएंगी चांद पर मौजूद ये आठ जगह, इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने दी मंजूरी
इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने चंद्रमा पर क्षेत्रों की पहचान करने के लिए आठ चीनी नामों को मंजूरी दी है
इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (International Astronomical Union) ने चंद्रमा पर क्षेत्रों की पहचान करने के लिए आठ चीनी नामों को मंजूरी दी है. ये क्षेत्र उसी जगह पर स्थित हैं, जहां बीते साल चंद्रमा की सतह से सैंपल एकत्रित करने के लिए चीन का अंतरिक्षयान चांग ई-5 उतरा था, जिसके बाद ये वापस धरती पर भी लौटा (China Moon Mission). इस यान ने चांद पर पहुंचते ही पहले खुद को उसकी कक्षा में स्थापित किया था और फिर उसके चक्कर लगाए. 8.2 टन के चांग ई को बीते साल नवंबर महीने में लॉन्च किया गया था.
ऐसा 40 साल में पहली बार हुआ, जब कोई देश चंद्रमा से सैंपल लाने में कामियाब हुआ है. इससे पहले अमेरिका ने चंद्रमा से सैंपल लाने के लिए अंतरिक्षयात्रियों को भेजा था (Chinese Names Meaning Moon). आईएयू ने एक बयान जारी कर कहा है, 'ग्रहों का नाम रखने वाले आईएयू के कार्यकारी समूह ने चांग ई-5 की लैंडिंग साइट के आसपास वाले चंद्रमा के क्षेत्रों की पहचान के लिए आठ नामों को मंजूरी दी है. ये नाम हैं- मोंस हुआ, मोंस हेंग, पी शियु, शेन कुओ, लियू हुइ, सोंग यिंगशिंग, स्टेशियो तियांचुन और शु गुआंकी.' इस तरह के चीनी नाम चांद पर 2010 से रखे जा रहे हैं.
चीन ने प्रकाशित किए थे नाम
आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2010 के सितंबर महीने में चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने पृथ्वी के चंद्रमा पर स्थानों की पहचान के लिए आधिकारिक चीनी नाम प्रकाशित किए थे. जिससे कन्फ्यूजन दूर हो सके और चीन के चंद्रमा पर किए जा रहे प्रयासों को भी मदद मिल सके (Chinese Name About Moon). मंत्रालय ने 468 स्थानों के लिए चीनी नाम प्रकाशित किए थे. इसके बाद चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली ने 2019 फरवरी में बताया कि चीन के चांग ई-4 मिशन की खोजों के आधार पर चंद्रमा की पांच जगहों को चीनी नाम से जाना जाएगा.
कब हुई नाम रखने की शुरुआत?
जिस स्थान पर चांग ई-4 उतरा है, उसे चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन, चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज और आईएयू ने स्टेशियो तियानहे नाम दिया है (Chinese Names on Moon). इसके साथ ही लैंडिंग साइट के चारों ओर मिले तीन गड्ढों को झिन्यु, हेगू और तियांजिन नाम दिया गया है. चांद की सतह पर नाम रखने की इस प्रक्रिया की शुरुआत 17वीं सदी में यूरोप में और 18वीं सदी में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ ने शुरू की थी. अमेरिका के बाद चीन तेजी से अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी क्षमता बढ़ाता जा रहा है. उसने अपना एक रोवर मंगल ग्रह पर भी भेजा है.