भारत-चीन के संबंध में खटास, विदेश मंत्री ने कहा, चाइना की तरफ़ से की गई एकतरफ़ा कार्रवाई ने स्थिति को ख़राब किया

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि पिछले 30-40 साल में भारत-चीन के संबंध संभवत: सबसे मुश्किल दौर में हैं.

Update: 2020-12-09 08:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नई दिल्ली: India-china Standoff: विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar)ने कहा है कि पिछले 30-40 साल में भारत-चीन के संबंध (India-china Relations) संभवत: सबसे मुश्किल दौर में हैं. उन्‍होंने ऑस्ट्रेलिया के लौवी इंस्टीट्यूट के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइकल फुलीलव के साथ बातचीत में यह बात कही. चीन के साथ संबंधों के ख़राब होने की वजह समझाते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि LAC पर चीन की तरफ़ से की गई एकतरफ़ा कार्रवाई ने स्थिति को ख़राब किया है. विदेश मंत्री ने कहा कि इससे पहले, सीमा पर पिछली बार सैनिकों की जान 1975 में गई थी. इससे समझा जा सकता है कि मामला कितना गंभीर है.


विदेश मंत्री ने संबंधों का मोटे तौर पर लेखा-जोखा देते हुए कहा कि 1988 से भारत-चीन के संबंध सकारात्मक तरीक़े से बढ़ रहे थे. तीस साल पहले भारत और चीन के बीच व्यापार नगण्य था, लेकिन अमेरिका के बाद आज चीन नंबर दो ट्रेड पार्टनर है.विदेश मंत्री ने अपनी बातचीत में यह भी कहा कि LAC पर पेट्रोलिंग के दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच बहस या हल्की फुल्की झड़प चलती रहती थी जो कि एक तरह से सामान्य बात थी. लेकिन जब हम सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक-दूसरे से लगातार बातचीत में थे तब ये हुआ. हमारे समझौतों में ये तय था कि दोनों देश में से कोई सीमा पर बड़ी तादाद में सेना को लेकर न आएगा. लेकिन चीन ने इसे सहमति को तोड़ा और हज़ारों की तादाद में सैनिकों को लेकर लद्दाख में सैन्य तैयारियों के साथ आया. इससे समस्या पैदा हुई और हमारी तरफ़ से 20 सैनिकों की जान गई. इसने देश की भावना को बदल दिया.

 
उन्‍होंने कहा कि अब रिश्ते कैसे पटरी पर आएंगे, ये सोचने की बात है. हमारा रुख साफ़ है कि LAC पर यथास्थिति बहाल की जाए. अच्छे संबंध के लिए यह पहली शर्त है. विदेश मंत्री ने कहा, 'ये नहीं हो सकता कि सीमा पर गड़बड़ी हो और बाक़ी रिश्ते सामान्य बने रहें. हमने अपनी तरफ़ से हर स्तर पर चीन को अपनी बात बता दी है. मैं चीन के विदेश मंत्री से मिला. रक्षा मंत्री चीन के रक्षा मंत्री से मिले. इसलिए ये नहीं कह सकते कि संवाद की समस्या है. समस्या ये है कि समझौतों को ताक पर रखा गया है.'




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