चंद्रमा पर अपना अंतिरक्ष यान भेजने का रूस ने किया ऐलान, जानें क्या हैं इसके मायने
रूस यूक्रेन युद्ध में उलझे रहने के बावजूद रूस ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम जारी रखा हुआ है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रूस यूक्रेन युद्ध में उलझे रहने के बावजूद रूस (Russia) ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम जारी रखा हुआ है. रूसी स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस के प्रमुख दिमित्री रोगोजिन ने बताया है कि रूस इसी साल सितंबर के अंतर में चंद्रमा (Moon) पर अपना लूना -25 (Luna-25) यान भेजेगा. रूसी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक रोगोजिन को उम्मीद है कि इस अभियान के सभी परीक्षण सफल होंगे और दुनिया चंद्रमा पर पहला रूस अंतरिक्ष यान देखेगी. युद्ध और पश्चिमी देशों से से तल्खियों के बीच इस ऐलान के कई बड़े संकेत दे रहा है जबकि हाल ही में यूरोप ने रूस से अपने अंतरिक्ष संबंध तोड़े हैं.
ईसा का पीछे हटना
इस अभियान को यूरोपीय स्पेस एजेंसी, ईसा (ESA) के सहयोग से जुलाई 2022 में प्रक्षेपित होना था. यह अभियान तब टल गया था जब यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने इसी अप्रैल यूक्रेन युद्ध के चलते सहयोग को रद्द कर दिया था. ईसा ने लूना-25 के साथ उसके बाद के लूना-26 और लूना-27 अभियान से भी सहयोग खत्म करने का ऐलान कर दिया था.
पुतिन ने भी दिया था जोर
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपैल में ही अपने देश के चंद्र अभियान को जारी रखने के महत्व पर जोर दिया था. उस समय लूना-25 को इस साल के तीसरे तिमाही में अभियान को प्रक्षेपित करने के रूपरेखा तैयार की जा रही थी. पुतिन के कहा था कि पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंध उनके देश के अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रयासों को डिगा नहीं सकेंगे.
ईसा का नैविगेशन कैमरा
रोसकोसमोस का लक्ष्य एक स्वचलित प्रोब को मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का है जिसमें यूरोप निर्मित नैविगेशन कैमरा, PILOT-D लगा होना था, लेकिन अब ईसा के पीछे हटने से रोसकोसमोस अपने स्वदेशी नैविगेशन कैमरे के साथ इसे चंद्रमा पर उतारेगा. ईसा के डायरेक्टर जनरल जोसेफ एस्कबैचर ने कहा है कि उन्होंने पहले ही रोसमोसकोस प्रमुख से इस बारे में बात कर ली है कि वे कैमरे को लैंडर से निकाल कर सुरक्षित रख लें जिससे इसे ईसा को लौटाया जा सके.
क्या होगा इस अभियान में
लूना-25 अभियान का लक्ष्य चंद्रमा की मिट्टी रोगोलिथ का अध्ययन करने के साथ ही चंद्रमा के ध्रुवीय बाह्यमंडल के प्लाज्मा और धूल के कणों का अध्ययन करना भी है. इसके ऊपरी हिस्सा में सौलर पैनल, संचार उपकरण और ऑनबोर्ड कंप्यूटर लगे होंगे. 800 किलोग्राम का लैंडर सुयोज फ्रेगाट में रख कर प्रक्षेपित किया जाएगा और इसके एक साल तक काम करने की उम्मीद है.
लूना-26 और 27
लूना-25 के बाद लूना-26 और लूना-27 अभियान के भी प्रस्ताव हैं, इस पर रूस-यूरोप साझेदारी से काम हो रहा है. ईसा के मुताबिक लूना-26 को दो साल बाद प्रक्षेपित करना था जिसमें एक ऑर्बिटर में रिमोट वैज्ञानिक उपकरणों के साथ आगे के अभियानों के लिए अगले लैंडर अभियान के लिए संचार तंत्र भी भेजने की योजना है. वहीं लैंडिंग अभियान वाला लूना -27 उसके एक साल बाद भेजा जाने की योजना थी.
नासा की भी नजरें चंद्रमा पर
रूस का ऐलान ऐसे समय आया है जब अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के आर्टिमिस अभियान के पहले चरण के प्रक्षेपण को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस अभियान के अंतिम चरण में नासा चंद्रमा पर लंबे समय के लिए अगले पुरुष और पहली महिला को चंद्रमा पर भेजेगा. वहीं रूस भी चीन के सहयोग से चंद्रमा पर रिसर्च स्टेशन बनाने के अभियान की तैयार में लगा हुआ है.
साफ है कि अगले कुछ सालों में हमें चंद्रमा को लेकर अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है. अमेरिका और रूस की दुनिया के कई देशों को अपने साथ मिलाने की कोशिशें चल रही है. नासा जहां आर्टिमिस समझौते के तहत दुनिया के कई देशों को सहयोगी बना चुका है, वहीं रूस भी कुछ देशों को सहयोगी बना रहा है. जिसमें उसने हाल ही में चीन को भी शामिल किया है. यह पहली बार है जब रूस और चीन अंतरिक्ष मामलों में एक मंच पर आ रहे हैं. ये सभी एक नई स्पेस रेस के संकेत हैं.