भूख से मरती उत्तर कोरिया की जनता, किम जोंग ने खाना कम खाने का दिया हुक्म

घातक मिसाइलें हासिल करने में जुटे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम-जोंग उन आर्थिक मोर्चे पर दाने-दाने को मोहताज हैं।

Update: 2021-10-29 01:28 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। घातक मिसाइलें हासिल करने में जुटे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम-जोंग उन आर्थिक मोर्चे पर दाने-दाने को मोहताज हैं। इसके कारण तानाशाह ने लोगों को वर्ष 2025 तक 'कम भोजन' करने का आदेश दिया है। देश में बढ़ते खाद्य संकट की समस्या को जटिल होने को लेकर किम जोंग ने कई कारण गिनाए हैं। किम ने कहा कि आपूर्ति बाधित होने और कृषि क्षेत्र में लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन नहीं होने से देश में खाद्य संकट गहरा गया है। इससे देश में अनाज और अन्य जरूरी खाद्य सामग्री की कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं।

इस साल भारी बारिश ने भी फसल को चौपट करने का काम किया। हालात की गंभीरता को भांपते हुए सत्ताधारी वर्कर पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने बैठक करके हालात पर मंथन किया है। इसके पहले अप्रैल को भी किम जोंग ने अधिकारियों से कहा था कि जनता को मुश्किलों से थोड़ी राहत देने के लिए फिर से एक 'मुश्किल मार्च' शरू करें। इस वाक्यांश का इस्तेमाल उत्तर कोरिया में 90 के दशक में किया गया था जब देश भारी अकाल से जूझ रहा था। इसमें करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई थी। तब सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर कोरिया को मदद मिलनी बंद हो गई थी।
चीन से व्यापार में बाधा :
तानाशाह की टीम से जुड़े एक स्रोत के मुताबिक किम ने यह भी साफ कर दिया है कि खाद्य संकट वर्ष 2025 तक जारी रहेगा। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर कोरिया और चीन के बीच सीमापार व्यापार के अगले चार साल में शुरू होने की संभावना बहुत कम है।
भुखमरी का खतरा :
संयुक्त राष्ट्र भी उत्तर कोरिया में बढ़ते खाद्य संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र भी उत्तर कोरिया में भुखमरी का खतरा जता चुका है। खासकर गरीब लोगों की मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं।
खाद्य संकट की प्रमुख वजह
1-महामारी के कारण लॉकडाउन जैसे अन्य कड़े कदम से आपूर्ति बाधित हुई
2-अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया का बाकी दुनिया से कट जाना
3-पिछले साल आए चक्रवाती तूफान का भी कृषि क्षेत्र पर पड़ा है असर
4-अर्थव्यवस्था के लिए चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर रहना भी एक वजह


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