खुदरे जा रहे पुराने जख्म, बांग्लादेशियों का ब्रसेल्स में प्रदर्शन, पाक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
बांग्लादेश में हुए नरसंहार की वैश्विक स्वीकार्यता के लिए तरस रहे हैं
मानवाधिकार संगठनों और बांग्लादेश की कई संस्थाओं ने यूरोपीयन यूनियन के सामने ब्रसेल्स में प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि पाकिस्तान ने 1971 में बांग्लादेश में जो नरसंहार किया, उसको यूरोप और अफ्रीका में हुए अन्य नरसंहार की तरह ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दी जाए। इसके साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की जाए। प्रदर्शनकारियों के हाथों में पाकिस्तान के खिलाफ तख्तियां थीं। आयोजन नरसंहार के पचास साल पूरे होने पर किया गया था।
पाकिस्तान के नरसंहार के विरोध में कर रहे प्रदर्शन
ब्रसेल्स में मानवाधिकार कार्यकर्ता मैनेल मिसालामी ने कहा कि नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठन पाकिस्तान द्वारा नरसंहार की 50 वीं वर्षगांठ पर पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने और यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के लिए विरोध में आए थे।
बांग्लादेश में हुए नरसंहार की वैश्विक स्वीकार्यता के लिए तरस रहे हैं
मैनेल मिसालामी ने यूरोपा ब्लॉग में लिखा कि यह 1971 के बांग्लादेश हिंदू नरसंहार और उन 20-30 लाख पीड़ितों के लिए एक श्रद्धांजलि है जिसमें काफी संख्या में लोग मारे गए और करीब 4 लाख महिलाओं का दुष्कर्म हुआ था। हमें 50 साल बाद इस नरसंहार की घटना को याद करने की जरूरत है और इस हत्याकांड की क्रूरता को कभी नहीं भूलना चाहिए, जिसमें बांग्लादेश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध उत्पीड़ित और प्रताड़ित थे।
हिंदू समुदाय ने अपनी जमीन खो दी और पाकिस्तानी सेना द्वारा उनका वध किया गया। उन्होंने कहा कि आज हम मुख्य रूप से इस नरसंहार की वैश्विक स्वीकार्यता के लिए तरस रहे हैं, क्योंकि वे यूरोप और अफ्रीका में अन्य नरसंहारों की तुलना में अपरिचित नहीं है।
बंगाली नरसंहार स्मरण दिवस या बांग्लादेश नरसंहार स्मृति दिवस 25 मार्च को बांग्लादेश में मनाया जाने वाला एक राष्ट्रीय दिवस है, जिसमें 1971 के नरसंहार के पीड़ितों को सम्मान दिया गया था। इसे 2017 में सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई थी