मर्क और फाइजर की कोरोना दवाओं को खरीदने के लिए दुनिया के देशों में मची होड़, अब वैक्सीन नहीं टैबलेट से होगा इलाज!

कोरोना मरीजों के इलाज के लिए लिए अमेरिका और ब्रिटेन में दो नई दवाएं आई हैं।

Update: 2021-11-11 05:27 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए लिए अमेरिका और ब्रिटेन में दो नई दवाएं आई हैं। दोनों नई एंटीवायरल दवाइयां कोरोना के गंभीर मरीजों पर ट्रायल के दौरान काफी असरदार रही हैं। इनमें से एक को अमेरिकी कंपनी फाइजर ने बनाया है को तो दूसरी को मर्क एंड कंपनी ने बनाया है। अब इन दोनों ही दवाओं को खरीदने के लिए दुनिया के देशों में होड़ मच गई है। दुनिया के कई देशों मे इन दोनों ही दवाओं का ऑर्डर दिया है।आइए जानते हैं किस देश ने मर्क और फाइजर की कोविड मेडिसन का कितना आर्डर दिया है।

मर्क की कोरोना दवा:
ऑस्ट्रेलिया 300,000 डोज
यूरोपीय संघ
फ्रांस 50,000 डोज
इंडोनेशिया 600,000 डोज -
जापान 1.6 मिलियन डोज
मलेशिया 150,000 डोज
फिलीपींस 300,000 डोज
दक्षिण कोरिया 200,000 डोज
थाईलैंड 200,000 डोज
यूके 480,000 डोज
अमेरिका. 3,100,000 डोज
फाइजर की कोरोना दवा:
ऑस्ट्रेलिया 500,000 डोज
यूके 250,000 डोज
यूएस 1.7 मिलियन डोज
दक्षिण कोरिया 70,000 डोज
ब्रिटेन (Britain) ने हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोविड-19 रोगियों (Covid-19) के इलाज के लिए मर्क की एंटीवायरल गोली (Merck's antiviral pill) के इस्तेमाल को मंजूरी दी। ब्रिटेन दुनिया का पहला देश है जिसने एक एंटीवायरल को मंजूरी दी है। इसे कोविड-19 के इलाज के लिए घर पर ले जाया जा सकता है।
दोनों दवाओं में से कौन ज्यादा बेहतर ?
दोनों दावाओं ने ट्रायल के नतीजे जारी किए हैं। इसके मुताबिक फाइजर की दवा ज्यादा इफेक्टिव है। हालांकि, दोनों कंपनियों की ओर से अभी पूरा डेटा जारी किया जाना बाकी है। फाइजर ने कहा है कि इस दवा के इस्तेमाल के बाद कोरोना मरीज के हॉस्पिटलाइजेशन या मौत की आशंका बहुत कम होती है। तीन दिन के अंदर अगर दवा का इस्तेमाल होता है तो मौत या हॉस्पिटलाइजेशन की आशंका 89% तक कम हो जाती है। वहीं, अगर लक्षण आने के 5 दिन के अंदर मरीज को दवा दी जाए तो मौत या हॉस्पिटलाइजेशन की आशंका 85% तक कम हो जाती है।
मर्क एंड कंपनी ने अक्टूबर की शुरुआत में अपने ट्रायल के नतीजे जारी किए थे। कंपनी के मुताबिक अगर लक्षण आने के 5 दिन के भीतर उनकी दवा दी जाए तो हॉस्पिटलाइजेशन और मौत की आशंका 50% तक कम हो जाती है। वहीं, तीन दिन के भीतर दवा देने पर कितनी इफेक्टिव है, इसका डेटा कंपनी ने नहीं दिया था।


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